बिहार माल और सेवा कर विधेयक 2019, बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 पास.

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बिहार माल और सेवा कर विधेयक 2019, बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 पास.

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार विधानसभा (Bihar Assembly)  में उपमुख्यमंत्री, वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने  बिहार माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2019 तथा बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 पेश किया .विपक्ष के हंगामे के बीच दोनों बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. विधानसभा की कार्यवाही भोजनावकाश के बाद शुरू होने पर एनआरसी को वापस लिए जाने और इसे बिहार में लागू न करने के वास्ते सदन द्वारा एक प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने आसन के समक्ष नारेबाजी की.

विपक्ष के हंगामे के बीच उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा पेश बिहार माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2019 और बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 को अध्यक्ष विजय कुमार चौधारी ने ध्वनिमत से पारित घोषित कर दिया. सुशील ने बिहार माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2019 के बारे में बताया कि जीएसटी परिषद की अनुशंसाओं के आलोक में बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार इस अधिनियम के अन्तर्गत पूर्व में निबंधन के लिए सीमा 20 रुपए लाख निर्धारित थी जिसे अब 40 रुपए लाख किया गया है.

जीएसटी के अधीन निबंधन प्राप्त करने के लिए ‘आधार’ संख्या को अनिवार्य बनाया गया है ताकि नव-निबंधित व्यवसायियों की ठोस पहचान की जा सके. सुशील ने कहा कि अधिनियम में हुए प्रथम संशोधन के तहत प्रावधान किया गया था कि कम्पोजिशन लेवी का कोई करदाता राज्य में अपने कारोबार का 10 प्रतिशत अथवा पांच लाख रुपए, जो भी अधिक हो की सीमा तक सेवाओं की आपूर्ति कर सकेगा. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन में मुख्य रूप से सेवाओं की आपूर्ति करने वाले 50 लाख रुपये कारोबार तक के व्यवसायियों के लिए भी कम्पोजिशन लेवी का लाभ दिए जाने का प्रावधान है.

सुशील ने कहा कि कम्पोजिशन लेवी के विकल्प का चुनाव करने वाले व्यवसायियों के लिए त्रैमासिक आधार पर विवरणी एवं त्रैमासिक कर भुगतान के प्रावधान किये गए हैं. प्रस्तावित संशोधन में कम्पोजिशन लेवी के व्यवसायियों के लिए मात्र वार्षिक विवरणी दाखिल किए जाने की व्यवस्था की गई है.लेकिन  कर का भुगतान त्रैमासिक आधार पर किया जाएगा.

मोदी ने कहा कि पिछली समाधान योजना में विवादित बकाया राशि के आधार पर वर्गीकरण किया गया था एवं बकाया के समाधान के लिए कर की अलग-अलग दरें निर्धारित थीं. प्रस्तावित समाधान योजना में विवाद में सन्निहित कर की राशि के आधार पर अलग अलग स्लैब के वर्गीकरण को समाप्त कर दिया गया है. प्रस्तावित योजना में पहले के अधिनियमों के किसी भी अवधि एवं किसी भी राशि के विवादित कर बकाए को 35 प्रतिशत के भुगतान पर निपटारा किया जा सकेगा.

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