एक दूसरे पर नहीं है महागठबंधन के घटक दलों को भरोसा, देख रहे शक की नजर से
सिटी पोस्ट लाइव : सत्ता पर काबिज होने के लिए बीजेपी हर तरह के हथकंडे अपना रही है. बीजेपी की रणनीति का प्रयोग देश के तमाम राज्यों में सौ फीसद सफल रहा है. विपक्ष की टीम तो तोड़कर उसका मनोबल गिराने की बीजेपी की सफल होती रणनीति से विपक्ष के अंदर घमाशान मचा हुआ है. झारखंड में भी बीजेपी विपक्ष के कई मजबूत विकेट गिरा चुकी है. बीजेपी विपक्षी खेमे के पांच विधायकों समेत लगभग एक दर्जन नेताओं को अपने साथ ले चुकी है.
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपीको बहुमत हासिल नहीं हुआ था. केवल 37 विधायक ही जीते थे. बीजेपी ने जेवीएम कुल आठ में से 6 विधायकों को तोड़कर सदन में अपने बूते पूर्ण बहुमत हासिल किया था. दल बदल कानून के तहत इस मामले में लंबी सुनवाई हुई. लेकिन अंतत: फैसला बीजेपी के हक में आया. झाविमो के सातवें विधायक प्रकाश राम भी 2019 का चुनाव आते-आते बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव से पूर्व विपक्ष के कद्दावर विधायकों को तोड़ बीजेपी विपक्ष को तगड़ा झटका दे चुकी है.
इस बार मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुआई में एक बार फिर से बीजेपी चुनावी मैदान में जाने को बेकरार है. लेकिन विपक्ष सीटों की संख्या को लेकर आपस में बनता हुआ है. विपक्ष किसी किसी चेहरे पर दांव लगाने को या भरोसा करने को तैयार नहीं है.विरोधी वोटों के बिखराव के नाम पर बनने वाले महागठबंधन को लेकर तमाम दल एक-दूसरे को शक की नजर से देख रहे हैं. विपक्षी महागठबंधन में किसी भी पार्टी को दूसरे पर भरोसा नहीं है. सबको ये डर सता रहा है कि पता नहीं चुनाव जीतने के बाद कौन सी पार्टी बीजेपी के साथ समझौता कर लेगी. कांग्रेस, आरजेडी और वामपंथी दलों ने अब तक कभी भी बीजेपी से समझौता तो नहीं किया है लेकिन झामुमो सरकार गठन के लिए बीजेपी से सांठ-गांठ कर चुका है. बाबूलाल की पार्टी झाविमो के विधायक तो लगातार दो बार अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.ऐसा तो आरजेडी और कांग्रेस के विधायक भी कर सकते हैं.
महागठबंधन के घटक दल एक-दूसरे पर थोड़ा भी भरोसा करने को तैयार नहीं हैं.यहीं वजह है कि बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा रोकने के नाम पर बनने वाला महागठबंधन आकार नहीं ले पा रहा है. झामुमो 40 से कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं है. कांग्रेस भी 30 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है. कांग्रेस और जेएमएम के बीच समझौता हो जाने के बाद बाम दल और जेवीएम के लिए कोई सीट बचती ही नहीं है.