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“चुनावी विश्लेषण” : किशनगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का है पलड़ा भारी

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“चुनावी विश्लेषण” : किशनगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का है पलड़ा भारी

सिटी पोस्ट लाइव : 21 अक्टूबर को किशनगंज विधानसभा सीट पर होनेवाले उपचुनाव में कुल आठ प्रत्यासी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 70 फीसदी मुस्लिम और 30 फीसदी हिन्दू मतदाता वाले इस विधानसभा में कुल मतदाता 2 लाख 84 हजार 335 हैं ।जिसमें पुरुष मतदाता की संख्या 1लाख 43 हजार 728 और महिला मतदाता की बात करें तो 1 लाख 40 हजार 522 है ।इसके अलावे सर्विस मतदाता की संख्या कुल 71 है, जिसमें पुरुष वोटर 68 और महिला वोटर 3 है ।किशनगंज विधानसभा का ये सीट कांग्रेस विधायक डॉ मुहम्मद जावेद आजाद के सांसद चुने जाने से खाली हुयी थी ।किशनगंज के इस उपचुनाव के लिए चुनावी मैदान में आठ प्रत्याशी एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं,जिसमें चार राजनीति दल क्रमशः बीजेपी, कॉंग्रेस, AIMIM और सीपीआई ने अपने-अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं ।

चार प्रत्याशी,निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए हैं। अब तक के आकलन के अनुसार कॉंग्रेस, भाजपा और AIMIM के बीच त्रिकोणात्मक जंग दिख रही है ।इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार स्वीटी सिंह तीसरी बार अपना भाग्य आजमा रही हैं ।दो बार भाजपा उम्मीदवार स्वीटी सिंह को कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ जावेद आजाद से हार मिली थी । स्वीटी सिंह वर्तमान में जिला परिषद की सदस्य हैं ।बताना जरूरी है कि स्वीटी सिंह ने एलएलबी की डिग्री हासिल की है। गौरतलब है कि वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार स्वीटी सिंह को महज 264 मतों से डॉ. मो. जावेद आजाद से शिकस्त मिली थी । वर्ष 2015 के चुनाव में भाजपा प्रत्यासी स्वीटी सिंह को कांग्रेस प्रत्यासी डॉ जावेद आजाद ने 8556 मतों से पराजित किया था ।इसबार स्वीटी सिंह को विजयी बनाने के लिए बीजेपी और उसके सहयोगी दल ने एड़ी-चोटी का जोड़ लगा रखा है ।पीएम मोदी के विकास कार्य के नाम पर,वे जनता से वोट मांग रहे हैं ।

कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेसी सांसद डॉ मुहम्मद जावेद आजाद,अपनी 72 वर्षीय माँ सईदा बानो को कांग्रेस की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा रहे हैं ।सईदा बानो वर्ष 2001 ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूल से 54 वर्ष की आयु में मैट्रिक की परीक्षा पास की है और 58 साल की उम्र यानि वर्ष 2005 में इग्नू से बीपीपी का कोर्स किया था ।सांसद के अपनी माँ को टिकट दिलवाने से,उनपर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप लग रहा है ।कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं को परिवारवाद की राजनीति पच नही रही है,जिसके विरोध में बागी अपना अलग तेवर दिखा रहे हैं ।इसी वजह से कॉंग्रेसी नेता इमरान आलम निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना भाग अजमा रहे हैं ।इनका कहना है कि कॉंग्रेस में परिवारवाद को खत्म करने के लिए वे चुनावी मैदान में डटे रहेंगे ।कांग्रेस उम्मीदवार ने चुनावी सभा में चुप्पी साध रखी है जबकि उनके बेटे सांसद महोदय मुस्लिम मतदाता को बीजेपी का डर दिखाकर वोट मांग रहे है ।
AIMIM पार्टी भी किशनगंज में अपना दबदबा बना चुकी है । AIMIM ने चुनावी मैदान में अपना उम्मीदवार कमरुल हुदा को उतारा  है ।कमरुल हुदा दूसरी बार विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ रहे हैं ।जबकि AIMIM के टिकट पर वे पहली बार चुनावी मैदान में हैं ।कमरुल हुदा मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण किये हुए हैं ।वर्तमान में वे जिला परिषद के सदस्य हैं ।वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कमरुल हुदा को  7हजार 9 सौ 65 मत मिले थे ।हांलांकि AIMIM के टिकट नही मिलने से नाराज तसीरउद्दीन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में है लेकिन उन्होंने अपना समर्थन AIMIM को दे दिया है ।AIMIM के उम्मीदवार,अपना चुनावी मुद्दा सीमांचल की बदहाली बताकर वोट मांग रहे हैं ।आदतन जीत का दावा सभी प्रत्याशी कर रहे हैं लेकिन मतदाताओ ने अभी चुप्पी साध ली है ।इस कारण आनेवाले दिनों में किसकी चुनावी चाल किस करवट लेगी और शह-मात के इस खेल में कौन आगे होगा, यह काफी कुछ आगे की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा ।मोटे तौर पर त्रिकोणीय संघर्ष है ।लेकिन पलड़ा कॉंग्रेस का भारी दिख रहा है ।अगर मुस्लिम वोटरों ने नरेंद्र मोदी पर अपना भरोसा जताया तो,स्वीटी सिंह भी बाजी मार सकती है ।लेकिन अभीतक के रुझान में कॉंग्रेस आगे दिख रही है ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का “चुनावी विश्लेषण”

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