पटना के बाढ़ से नीतीश कु. का या फिर BJP-नीतीश के रिश्ते का खुल रहा पोल?
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजधानी पटना में तो हर साल जल-जमाव होता है. शहर के कुछ ख़ास मुहल्लों और सडकों को छोड़ दें तो घंटे भर की बारिश में भी पटना पानी पानी हो जाता है. लेकिन इस बार जल-जमाव ने बाढ़ का रूप ले लिया है. इसबार भी वहीँ ईलाके दुबे हैं, जहाँ हर साल बारिश के बाद जल-जमाव होता था. लेकिन फर्क बस इतना है कि पहले बारिश ख़त्म होने के कुछ घंटे बाद ही शहर का पानी निकल जाता था. लेकिन इसबार जल-जमाव ने बाढ़ का रूप क्यों ले लिया? क्या है इसके पीछे की हकीकत आज सिटी पोस्ट लाइव आपको बताने जा रहा है.
मौसम विभाग ने बिहार के 15 जिलों में 26 सितंबर को रेड अलर्ट जारी कर दिया था. लेकिन न तो सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और ना ही नगर निगम ने इसको लेकर कोई तैयारी शुरू की.शुक्रवार की रात भीषण बारिश हुई लेकिन नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी चादर तानकर चैन से सोते रहे.शहर के शंप हाउस ऑपरेटर भी अलर्ट नहीं थे.रात भर उन्होंने शंप हाउस चलाया ही नहीं.सुबह जब तक वो शंप हाउस चलाने पहुंचे शंप हाउस खुद डूब चुके थे.अगर ये शंप हाउस बारिश शुरू होने के साथ यी चालू हो गए होते तो शायद हालात इतने ख़राब नहीं होते. शंप हाउस डूब चुके थे, बारिश अगातर हो रही थी और शहर डूब रहा था.
भारी बारिश से राजधानी पटना का 80 प्रतिशत इलाका भयंकर जलजमाव की चपेट में आ गया.जल जमाव शनिवार की शाम तक बाढ़ का रूप ले चूका था. हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रात में राजेंद्र नगर स्थित अपने पैत्रिक आवास पर सो रहे उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी बाढ़ में फंस गए. राहत-बचाव कार्य कितनी देर से शुरू हुआ इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी तीन दिन तक घर में कैद रहे और चौथे दिन उन्हें रेस्क्यू कराया जा सका. छह दिन बाद भी कंकड़बाग, अगम कुआं, बहादुरपुर, पाटलीपुत्र, राजीव नगर, गोला रोड, दानापुर और पटना बाईपास के कई ईलाके 4 फीट पानी में दुबे हुए हैं.
सिटी पोस्ट की तहकीकात से ये बात सामने आई कि शहर का ड्रेनेज सिस्टम फेल हो गया है. शहर में नमामि गंगे परियोजना और दुसरे तरह के चल रहे निर्माण कार्य की वजह से ड्रेनेज सिस्टम को बहुत नुकशान पहुंचा है. निर्माण कार्यों की वजह से ड्रेनेज जाम हो चुके हैं. शहर का पानी ड्रेनेज के जरिये शंप हाउस तक पहुँच ही नहीं पा रहा है. शंप हाउस तक जब पानी पहुंचेगा ही नहीं तो शंप हाउस कैसे काम करेगें? गंगा के अंटा घात के शंप हाउस के ऑपरेटर का कहना है कि उसका शंप हाउस एक सेकंड में 500 लीटर पानी फेंक सकता है. लेकिन शहर का पानी ड्रेनेज जाम होने की वजह से शंप हाउस तक पहुँच ही नहीं पा रहा.
जाहिर है पटना की इस दुर्गति के लिए सीधेतौर पर शासन व्यवस्था, नगर विकास विभाग, नगर प्रशासन और पटना नगर निगम जिम्मेदार है.लेकिन इनके खिलाफ कारवाई करने की बजाय सरकार ने जलवायू परिवर्तन और हथिया नक्षत्र को जिम्मेवार ठहराना शुरू कर दिया. जाहिर है पटना में बाढ़ जैसी आपदा के लिए जिम्मेवार अधिकारी मौज में हैं क्योंकि इतनी बड़ी भूल- या फिर अपराधिक लापरवाही के वावजूद सरकार का डंडा उनके ऊपर नहीं चल रहा है. ऐसा नहीं है कि पटना का ड्रेनेज सिस्टम पहले बहुत दुरुस्त था और इसे ख़राब करने के लिए नीतीश सरकार जिम्मेवार है. इतनी बारिश पहले भी होती तो ऐसा संकट ही पैदा होता.
लेकिन ये भी सच्चाई है कि पहले की सरकारों को इसके लिए नीतीश कुमार दोषी नहीं ठहरा सकते क्योंकि पिछले 15 साल से उनका सुशासन बिहार में चल रहा है. क्या 15 साल कम होते हैं एक शहर की ड्रेनेज व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए. आज बीजेपी के नेता पटना में जल जमाव के लिए नीतीश सरकार की खिंचाई कर रहे हैं. वो इसी बहाने ये साबित करने पर तुले हैं कि नीतीश कुमार नाकाम मुख्यमंत्री हैं. लेकिन बीजेपी ये क्यों भूल रही है कि नीतीश कुमार के शासन काल में नगर विकास विभाग हमेशा बीजेपी के कोटे में ही रहा है. फिर बीजेपी नगर विकास मंत्री पर निशाना साधने के बजाय नीतीश कुमार पर क्यों हमलावर है.जिस तरह से बीजेपी ये साबित करने में जुटी है कि पटना की इस बदहाली के लिए नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं और अभी जो राहत बचाव कार्य चल रहा है, वह बीजेपी की वजह से चल रहा है, संदेश साफ़ है बीजेपी बिहार में अब क्या खेल खेलना चाहती है.