अभी भी 4 फीट पानी में डूबा है पटना, पत्रकारों पर लगी बंदिश
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजधानी पटना आज छठवें दिन भी पानी में डूबी हुई है.बाज़ार समिति, मोइनुलहक़ स्टेडियम, राजेन्द्र नगर, कदमकुवां में आज भी पांच फीट से ज्यादा पानी है. यहाँ पर सोमवार से NDRF और SDRF की टीम राहत बचाव कार्य चला रही है. लेकिन सच्चाई ये है कि अभी भी इस ईलाके लाकोहों घर अभीतक पानी में दुबे हैं. लोग 6 दिनों से बंधक बने हुए हैं.स्थानीय लोगों का कहना है कि NDRF की बोट की वजह से उन्हें बहुत राहत मिल रही थी लेकिन अब पटना डीएम के नए निर्देश के बाद NDRF की टीम ने राहत सामग्रियों का वितरण बंद कर दिया है. स्थानीय लोग जो रहत सामग्री लेकर आ रहे हैं, उन्हें भी लौटा दिया जा रहा है.
दरअसल, डीएम के मौखिक आदेश पर राहत सामग्रियों का वितरण NDRF ने बंद कर दिया है. स्थानीय लोगों को भी राहत सामग्री पहुंचाने के लिए बोट नहीं दिया जा रहा है. NDRF के एक अधिकारी के अनुसार उन्हें केवल रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए कहा गया है.लेकिन सच्चाई ये है कि ईस ईलाके में अपने घरों में फंसे लोग चोरी और लूटपाट के डर से अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं. वो अपने घरों में ही रह रहे हैं.ऐसे में उन्हें राहत सामग्रियों की सबसे ज्यादा जरुरत है.पिछले 6 दिनों से लोग अपने ही घर और फ्लैट में बंधक बने हुए हैं. पीने के लिए न पानी है और ना ही बिजली है. इस ईलाके के ट्रांसफार्मर अभी भी दुबे हुए हैं जाहिर है बिजली के लिए उन्हें पानी कम होने का इंतज़ार करना पड़ेगा.
क्या है जल जमाव की स्थिति
दरअसल, सबसे पहले शुक्रवार की रात में जमकर बारिश हुई थी. उसी बारिश में पटना डूबा था.शनिवार की सुबह जब सिटी पोस्ट की टीम सबसे पहले इस ईलाके में पहुंची थी ,उस समय केवल चार फीट पानी था. लेकिन शनिवार की रात और रविवार को हुई बारिश की वजह से जल का स्तर 5 फीट से ज्यादा पहुँच गया.शासन-प्रशासन पिछले दो दिनों से लगातार 48 घंटे में जल निकासी का दावा कर रहा है.ये 48 कब के गुजर गए लेकिन हकीकत यहीं है कि आज भी शनिवार से ज्यादा पानी है.जब किसी राज्य की राजधानी डूब जाए और वो भी पांच दिनों तक डूबी रहे तो देश विदेश की मीडिया का ध्यान भी चला ही जाता है. देश भर का मीडिया पटना पहुँच गया है. लगातार कवरेज से सरकार की भद्द पिट रही है. ऐसे में शासन ने मीडिया के खिलाफ बड़ा फैसला ले लिया है. अब बाढ़ के कवरेज के लिए NDRF के वोट पर मीडिया को चढ़ने पर रोक लगा दी गई है.सबसे ज्यादा परेशानी उन पत्रकारों को हो रही है जिनका घर इसी बाढ़ में डूबा है.उन्हें NDRF अपनी वोट पर चढाने ही नहीं दे रही है.