बिहार उप-चुनाव: 5 विधान सभा और 1 लोक सभा सीट का चुनावी गणित
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में विधान सभा की 5 सीटों के लिए होनेवाले उप-चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. निर्वाचन आयोग के द्वारा बिहार के 5 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तारीख की घोषणा के बाद सीटों की दावेदारी को लेकर घमशान तेज हो गया है. 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है.
21 अक्टूबर को 5 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उप-चुनाव के साथ-साथ रामविलास पासवान के भाई और समस्तीपुर से चुने गए सांसद रामचंद्र पासवान की मृत्यु के बाद खाली सीट पर भी चुनाव होगा. सभी सीटों पर नतीजों का एलान 24 अक्टूबर को होना है.इन पांचों सीटों में 4 सीटों पर फ़िलहाल एनडीए का कब्ज़ा है.
पिछले विधान सभा चुनाव में किशनगंज सीट से कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने बीजेपी की स्वीटी सिंह को 8609 मतों से हराया था. दूसरी सीट नाथनगर से जेडीयू के अजय कुमार मंडल ने लोजपा के अमरनाथ प्रसाद को 7825 मतों से हराया था. तीसरी सीट सिमरी बख्तियारपुर से जेडीयू के दिनेश यादव ने लोजपा के युसूफ स्लॉडफिन को 37806 मतों से पराजित किया था.चौथी सीट बेलहर से जेडीयू के गिरधारी यादव ने बीजेपी के मनोज यादव को 16195 मतों से हराया था.और पांचवी सीट सिवान के दरौंधा से जेडीयू की कविता सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार जितेंद्र स्वामी को 13222 मतों से पराजित किया था.अब वो संसद बन चुकी हैं.समस्तीपुर लोकसभा सीट- इस सीट से लोजपा के रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस के अशोक राम को 2 लाख 51 हजार मतों से हराया था.
2020 में होने वाले फ़ाइनल से पहले यह सत्ता का सेमीफ़ाइनल माना जा रहा है. इस उपचुनाव में न महा-गठबंधन और एनडीए की ताकत की परीक्षा होनी है. 2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के दोनों घटक दल बीजेपी और जदयू अलग-अलग चुनाव लड़ी थी, जबकि जदयू ने आरजेडी के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था. इस बार दोनों खेमों के समीकरण बदले हुए हैं.
अब बीजेपी और जदयू साथ हैं तो आरजेडी के साथ कांग्रेस और कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं. एनडीए ने जहां लोकसभा साथ लड़कर बड़ी जीत हासिल की है वहीं गठबंधन की बुरी हार हुई थी. उपचुनाव से पहले ही गठबन्धन में सीटों को लेकर दावे शुरू हो गए है. कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा किशनगंज और समस्तीपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए पक्का मान रहे हैं ,सदानंद सिंह तो एक लोक सभा सीट के साथ साथ तीन विधान सभा सीट पर भी दावा कर रहे हैं. जीतन राम मांझी ने गठबंधन की बैठक से पहले ही नाथनगर सीट को लेकर एलान कर दिया है. लेकिन सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव एक भी सीट सहयोगी दलों के लिए छोड़ने को तैयार नहीं हैं.