तेजस्वी का अघोषित अज्ञातवास आरजेडी पर पड़ गया है भारी, पार्टी पर पर भारी संकट
सिटी पोस्ट लाइवः राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी आज किन मुश्किलों से जूझ रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार ऐसा लगने लगता है जैसे पार्टी अपने खात्मे की ओर बढ़ रही है। कयास तो कई हैं लेकिन वो वजह समझ नहीं आ रही जिससे आरजेडी के कर्ता-धर्ता तेजस्वी यादव अपनी हीं पार्टी के लिए विलेन बन गये। यह समझना अब वाकई मुश्किल हो रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरा सियासी मंचो से दहाड़ने वाले तेजस्वी को अचानक क्या हो गया कि उन्होंने अपनी हीं पार्टी का बेड़ा गर्क कर दिया है। न तो वे सदन गये, ना हीं पार्टी के ज्यादातर कार्यक्रमों शामिल हुए। तेजस्वी घर से दूर हैं, परिवार से दूर हैं, पार्टी से दूर हैं और जाहिर है राजनीति से भी दूर हैं। यह दूरी उनकी पार्टी को उसके नेताओं और उसके सहयोगियों से कितना दूर ले जा रही है यह तो अब दिखने लगा है।
तेजस्वी यादव हताश हैं, निराश और शायद नाराज हैं लेकिन क्या यह हताशा सिर्फ लोकसभा चुनाव में हार की है, क्या यह निराशा भी सिर्फ हार की है और नाराजगी भी लोकसभा चुनाव में हार की है या फिर तेजस्वी पारिवारिक दिक्कतों की वजह से भी हताश निराश और नाराज हैं? यह सवाल भी है और कयास भी है। तेजस्वी यादव की सबसे बड़ी दिक्कत उनके बडे़ भाई तेजप्रताप यादव बताए जा रहे हैं। हांलाकि तेजप्रताप यादव का सियासी रसूख उतना नहीं है कि उनकी नाराजगी या बगावत पार्टी को सभी सीटें हरवा दे लेंकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप यादव की जो भूमिका रही है उससे यह माना जा रहा है कि जहानाबाद और सारण जैसी सीट पर नुकसान हुआ है।
तेजस्वी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक मंचो से हुंकार भर रहे थे और अगर सुपौल से कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रंजन वाला अपवाद छोड़ दें तो वे सिर्फ अपने लिए हीं नहीं बल्कि अपने सहयोगी दलों के प्रत्याशियों के प्रचार के लिए जीजान से जुटे थे। यहां तक की जिस अनंत सिंह को तेजस्वी का अघोषित अज्ञातवास आरजेडी पर पड़ गया है भारी, पार्टी पर भारी संकटने बैड एलिमेंटस कहा था उन अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के प्रचार के लिए वे कई बार मुंगेर के विभिन्न क्षेत्रों में गये। मोकामा से बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मुंगेर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही थी और जेडीयू के ललन सिंह से वे चुनाव हार गयी। एक तरफ तेजस्वी आरजेडी और उसके सहयोगी दलों के प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर रहे थे तो दूसरी तरफ उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव जहानबाद और सारण में जा जाकर आरजेडी प्रत्याशी को वोट नहीं देने की अपील कर रहे थे। तेजप्रताप सारण से आरजेडी उम्मीदवार चंद्रिका राय को बहरूपिया कहकर लोगों से उन्हें वोट न देने की अपील कर रहे थे दूसरी तरफ जहानाबाद में तो उन्होंने अपनी हीं पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ एक दूसरा प्रत्याशी उतार दिया था। यही नहीं वे आरजेडी उम्मीदवार सुरेन्द्र यादव को हथियारों को तस्कर बताकर उन्हें वोट न देने की अपील कर रहे थे। माना जा रहा है कि इससे पार्टी के अंदरखाने तेजप्रताप यादव के खिलाफ कार्रवाई की बात उठने लगी।
तेजप्रताप यादव के रवैये से आरजेडी में भारी आक्रोश और गुस्सा उभर रहा था। तब से आज तक यह कयास लगते रहे हैं कि तेजस्वी यादव पार्टी में सक्रियता इस शर्त पर चाहते हैं कि तेजप्रताप यादव के खिलाफ कार्रवाई हो। कहा जाता रहा है कि तेजस्वी ने अपनी डिमांड लालू यादव के सामने भी रखी है लेकिन संभवतः लालू इतने कठोर कार्रवाई के मूड में नहीं है। हांलाकि ये कयास हैं और सच पूरी तरह सामने नहीं आया है तेजस्वी यादव का अघोषित अज्ञातवास अब तक रहस्य बना हुआ है। लेकिन अब यह तय हो गया है कि जिस तरह से पार्टी के सदस्यता अभियान को लेकर होने वाली बैठक में तेजस्वी आज और कल नहीं पहुंचे उनकी इस गैरमौजूदगी ने पार्टी का बड़ा नुकसान कर दिया है।
अंदरखाने से खबर आ गयी है कि पार्टी के नेता अब खुद को और तेजस्वी को दोनों को कोस रहे हैं और खुद के भविष्य से आशंकित नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं। जाहिर है यह बड़ा नुकसान है क्योंकि सहयोगी पहले हीं छिटक रहे हैं, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी बकायदा एलान कर चुके हैं कि वे 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगे और अब तेजस्वी के अपने यानि उनकी पार्टी के नेताओं के छिटकने का भी खतरा बढ़ गया है। जाहिर है तेजस्वी का यह अघोषित अज्ञातवास राजद के भीषण टूट की वजह बन सकता है।