धारा 370 पर कन्फयूज हैं बिहार के नेता, अपनी हीं पार्टियों और घरों में बंटे हुए हैं लोग

City Post Live - Desk

धारा 370 पर कन्फयूज हैं बिहार के नेता, अपनी हीं पार्टियों और घरों में बंटे हुए हैं लोग

सिटी पोस्ट लाइवः धारा 370 संभवतः सियासत का ऐसा पहला मुद्दा रहा है जिसने सियासी खेमों और परिवारों को इतना कन्फयूज किया है कि लोग बंटे हुए नजर आ रहे हैं। जम्मू काश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद ज्यादातर दलों में यह कन्फयूजन दिखता रहा है। पार्टियां और नेता तय नहीं कर पा रहे कि विरोध करना है या समर्थन करना है। शुरूआत बीजेपी की सहयोगी जेडीयू से। जेडीयू तीन तलाक, धारा 370 और दूसरे मुद्दों को लेकर यह स्पष्ट करती रही है कि ऐसे मामलों में हम बीजेपी के साथ नहीं है। जेडीयू के मुखिया सीएम नीतीश कुमार सहित जेडीयू नेता पहले आक्रामक अंदाज में यह कहा करते थे कि जेडीयू इन मुद्दों पर बीजेपी का साथ नहीं देगी लेकिन बाद में तेवर नरम पड़ गये।

तीन तलाक वाले मामले में जेडीयू ने सदन से बहिष्कार किया और 370 के मामले में भी यही किया। इन दोनों मुद्दों पर जेडीयू के इस कदम को मौन समर्थन माना गया। बाद में जेडीयू महासचिव आरसीपी सिंह ने यह बयान भी दिया कि 370 हटाये जाने का फैसला अब संसद ने ले लिया है इसलिए हम सबको यह फैसला मानना चाहिए। दूसरी तरफ जेडीयू नेता डाॅ. अजय आलोक ने तो खुलकर इस फैसले का स्वागत किया और पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ की। ट्वीटर पर उन्होंने लिखा कि अगर आप दोनों नहीं होते तो यह संभव नहीं होता। जाहिर है दिखावे के विरोध के बावजूद भी जेडीयू धारा 370 को लेकर बंटी नजर आयी.

बिहार के सबसे बडे विपक्षी दल राष्‍ट्रीय जनता दल की बात करें तो लालू परिवारसे केवल तेजस्‍वी यादव का बयान आया है। तेजस्‍वी ने विलंब से मंगलवार को ट्वीट कर अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के विरोध में बयान दिया। इसके पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानंद तिवारी, विधायक भाई वीरेंद्र एवं शक्ति सिंह यादव ने विरोध में बयान जारी किया था, लेकिन मंगलवार तक लालू परिवार ने मौन ओढ़ रखा था। अभी भी लालू परिवार के किसर अन्‍य सदस्‍य ने कोई बयान नहीं दिया है। सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व सांसद पप्पू यादव की पत्नी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रंजीत रंजन के बयान की हुई। उन्हें सोनिया गांधी के निकट माना जाता है, लेकिन उन्होंने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनार्दन द्विवेदी की तरह पार्टी लाइन से अलग बयान दिया और अनुच्‍छेद 370 हटाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इसे तो हटना ही था, क्योंकि यह व्यवस्था देश हित में नहीं थी।रंजीत का यह बयान इसलिए भी मायने रखता है कि बिहार में विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा को छोड़कर प्रदेश कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने मुंह खोलना उचित नहीं समझा है।

यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी नहीं। खास बात यह भी है कि अनुच्‍छेद 370 को लेकर रंजीत रंजन का बयान पति पप्‍पू यादव के बयान से अलग रहा। पप्‍पू ने पहले अनुच्‍छेद 370 हटाने का खुलकर विरोध किया तो पत्नी रंजीत रंजन ने समर्थन। हालांकि, बाद में पप्पू यादव के स्वर बनते-बिगड़ते रहे। आठ अगस्त को केंद्र सरकार के फैसले को हिटलरशाही करार देने के महज दो दिनों बाद उन्होंने भरपाई करने की कोशिश की और कहा कि वे अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोधी नहीं, लेकिन इसके तरीके के विरोध में हैं।

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