अनुच्छेद 370 पर पीएम मोदी ने कहा- हर सरकार लोगों की भलाई के लिए कानून बनाती है
सिटी पोस्ट लाइव : पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म किये जाने पर पूरे देश को बधाई दी. उन्होंने कहा, अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को न्याय मिला.370 और 35A ने जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद, बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के अलावा कुछ नहीं दिया. 42 हजार निर्दाष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का जिस तरह से विकास होना चाहिए था वैसा नहीं हो पाया. अब अनुच्छेद 370 के हट जाने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास की गति बढ़ेगी. हर सरकार लोगों की भलाई के लिए कानून बनाती है.
पीएम मोदी ने कहा, एक राष्ट्र के तौर पर, एक परिवार के तौर पर, आपने, हमने, पूरे देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। एक ऐसी व्यवस्था, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे, जो उनके विकास में बड़ी बाधा थी, वो अब दूर हो गई है। भारत ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को वापस लेते हुए जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों – जम्मू कश्मीर और लद्दाख – में बांट दिया था ।
पीएम मोदी ने कहा केन्द्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटाने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया है। जो सपना सरदार पटेल का था, बाबा साहेब अंबेडकर का था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का था, अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का था, वो अब पूरा हुआ है। समाज जीवन में कुछ बातें, समय के साथ इतनी घुल-मिल जाती हैं कि कई बार उन चीजों को स्थाई मान लिया जाता है। ये भाव आ जाता है कि, कुछ बदलेगा नहीं, ऐसे ही चलेगा। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि संसद इतनी बड़ी संख्या में कानून बनाए और वो जम्मू-कश्मीर में लागू ही नहीं होता।
पीएम मोदी ने कहा कि देश के अन्य राज्यों में बच्चों को शिक्षा का अधिकार है लेकिन जम्मू-कश्मीर के बच्चे उससे वंचित रह जाते थे। देश के बेटियों को जो हक़ मिलते थे वो सारे हक़ जम्मू-कश्मीर की बेटियों को नहीं मिलते थे। देश के बाकी राज्यों में सफाई कर्मचारियों के लिए सफाई कर्मचारी कानून लागू है लेकिन जम्मू-कश्मीर में सफाई कर्मचारियों को यह अधिकार नहीं मिलते थे। देश के अन्य राज्यों में दलितों के खिलाफ उत्पीड़न के खिलाफ कड़े कानून थे लेकिन जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था। देश के अन्य राज्यों में मजूदरों को न्यूनतम मजदूरी कानून लागू था लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह केवल कागज में लटका मिलता था।