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अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अब भेदभाव से आहत नहीं होना पड़ेगा

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अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अब भेदभाव से आहत नहीं होना पड़ेगा

सिटी पोस्ट लाइव, गिरिडीह: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ख़ात्मे के बाद अमरनाथ की पवित्र यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं ने भी राहत की सांस ली है। कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों से होकर बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान अपने देश जैसा ही माहौल और वैसा ही अपनापन मिलेगा। यह कहना है कि गिरिडीह के तारक दत्ता का जो 1992 से लगातार बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाते रहे हैं। महज दो लोगों के साथ शुरू हुई उनकी यह यात्रा आज श्रद्धालुओं के एक बड़े समूह में बदल गयी है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद की बदली हुई परिस्थियों में तारक दत्ता ने अमरनाथ यात्रा का अनुभव साझा किया। तारक कहते हैं कि विगत ढाई दशक से निरन्तर हर साल बाबा बर्फानी के दरबार में मत्था टेकने का उनका यह क्रम लगातार जारी है लेकिन हाल के वर्षों में घाटी का माहौल दिल को आहत करता था। जम्मू तक तो अपने देश जैसा ही  सबकुछ सामान्य लगता था लेकिन कश्मीर की सीमा के साथ ही सबकुछ पराया जैसा महसूस होने लगता। लगता ही नहीं कि वे अपने ही देश में हैं। 200 किलोमीटर तक यात्री सिर्फ अपनी मर्जी से सांस लेते, शेष आर्मी की कड़ी सुरक्षा में रास्ता तय करने की विवशता रहती है। रास्ते में किसी अनहोनी घटना को लेकर हर पल मन अंशात रहता। हालांकि घाटी के दुकानदारों से जब भी धारा 370 को लेकर चर्चा होती तो वे सभी 370 को हटाने की वकालत करते। कहते थे कि इसके हटने से घाटी में अमन और शांति होगी। पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे उनलोगों का  व्यवसाय भी बढ़ेगा लेकिन वहां के कुछ स्थानीय तत्व देशभर के पर्यटकों को दूसरे देशों के नागरिक जैसा व्यवहार करते। अनुच्छेद 370 के हटने से अब तीर्थ यात्री तिरंगा लेकर भी जा सकते हैं। जबकि अबतक यह होता रहा कि तिरंगा देखते ही घोड़े वाले कहते कि उनके घोड़े बिदक जाते हैं, इसलिए झंडे को अन्दर रख लो। उनका कहना है कि अब देश के विभिन्न भागों से अमरनाथ यात्रा पर जानेवाले श्रद्धालुओं को कश्मीर में भेदभाव का दंश नहीं झेलना पड़ेगा।

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