झारखंड में अब तक सामान्य से 45 फीसदी कम बारिश, खेतों में सूखने लगे धान के बीज

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झारखंड में अब तक सामान्य से 45 फीसदी कम बारिश, खेतों में सूखने लगे धान के बीज

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड लगातार दूसरे साल कम बारिश की चपेट में है। पूरे राज्य में अब तक सामान्य से 45 फीसदी कम बारिश हुई है। राज्य के 24 में से 11 जिलों में अब तक धान की रोपाई तक शुरू नहीं हुई है। दक्षिण छोटानागपुर के सात और पलामू प्रमंडल के तीन जिलों में हालात सर्वाधिक चिंताजनक है। बारिश के अभाव में धान के बीज तक सूखने लगे हैं। बारिश की बेरुखी से एक बार फिर सुखाड़ के हालात बनते नजर आ रहे हैं। कम बारिश का असर धान समेत अन्य फसलों की खेती पर पड़ा है। सूखे की मार के डर से राज्य के किसान काफी चिंतित हैं। पहले मानसून आने में देरी, ऊपर से जुलाई माह में सामान्य से कम बारिश ने झारखंड को सुखाड़ की दहलीज पर खड़ा कर दिया है। अगर अगले सात दिनों में मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो स्थिति भयावह हो सकती है। रांची मौसम विज्ञान केन्द्र के आंकड़ों के मुताबिक 24 में से सिर्फ दो जिले लोहरदगा और साहेबगंज में अबतक सामान्य बारिश हुई है जबकि 16 जिलों में 30 से 50 फीसदी तक सामान्य से कम वर्षा हुई है। राज्य की स्थिति पर नजर डालें तो खूंटी, गढ़वा, बोकारो, चतरा, गोड्डा और पाकुड़ जिलों में 50 से 67 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। खूंटी में सामान्य से 67 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके अलावा गोड्डा में 63 फीसदी कम, पाकुड़ में 64 फीसदी कम, गढ़वा में 59 प्रतिशत कम, रामगढ़ में 53 फीसदी कम बारिश, रांची में भी सामान्य से 51 फीसदी कम वर्षा हुई है। हालांकि उप कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि इस सप्ताह होने वाली बारिश पर सारी हमारी उम्मीदें टिकी हुईं हैं। अच्छी बारिश की संभावना है। यदि बारिश हो जाती है तो हालात पूरी तरह से बदल सकते हैं।

11 जिलों में अब तक नहीं शुरू हुई धान की रोपाई

मानसून की बेरूखी के चलते अब तक राज्य में सिर्फ 12 फीसदी ही धान की रोपनी हो पाई है। 11 जिलों गढ़वा, लातेहार, सरायकेला-खरसावां, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और देवघर में तो अभी तक रोपनी शुरू भी नहीं हुई है। पानी के अभाव में खेतों में धान के बीज सूखने लगे हैं। इससे किसान परेशान हैं।

सरकार की सुखाड़ पर नजर, आपदा प्रबंधन की राशि जिलों को भेजी गईः कृषि मंत्री

राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह का कहना है कि सरकार की सुखाड़ पर नजर है। 31 जुलाई तक अच्छी बारिश हो जाती है तो स्थिति में सुधार संभव है। हालांकि एहतियात के तौर पर आपदा प्रबंधन की राशि सभी जिलों के डीसी को भेज दी गई है। वैकल्पिक खेती की भी तैयारी है।

2018 और 2015 में सुखाड़ झेल चुका झारखंड

2018 और 2015 में झारखंड सुखाड़ झेल चुका है। 2018 में राज्य के 18 जिलों के 129 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। वहीं, 2015 में सुखाड़ के कारण धान के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा था। 15.88 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी, लेकिन उत्पादन सिर्फ 25.69 लाख मीट्रिक टन हुआ था। 2016 में 49.88 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था।

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