धनबाद के मोहलबनी घाट पर पंचतत्व में विलीन हुए कॉमरेड एके राय, शवयात्रा में उमड़े लोग
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: धनबाद के पूर्व सांसद व मार्क्सवादी समन्यव समिति के संस्थापक कॉमरेड एके राय पंचतत्व में विलीन हो गये। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ धनबाद के मोहलबनी घाट पर किया गया। उनके भाई तापस राय ने मुखाग्नि दी। इस दौरान कॉमरेड एके राय के भाई सुकुमार राय भी मौजूद थे। इससे पहले मासस विधायक अरूप चटर्जी और भाकपा माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह सहित कई प्रमुख हस्तियों ने उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया। कॉमरेड राय के अंतिम संस्कार के दौरान झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्य के कैबिनेट मंत्री अमर बाउरी, मासस विधायक अरूप चटर्जी उपस्थित थे। धनबाद के पुराना बाजार के टेंपल रोड से सोमवार सुबह नौ बजे कॉमरेड एके रॉय की शवयात्रा निकली। फूलों से सजे वाहन पर राय दा का पार्थिव शरीर रखा गया। वाहन के पीछे-पीछे हजारों लोग राय दा अमर रहें, राय दा को लाल सलाम… जैसे नारे लगाते हुए चल रहे थे। धनसार, झरिया होते हुए नुनूडीह स्थित लाल मैदान में शवयात्रा पहुंची। वहां अंतिम दर्शनार्थ पार्थिव शरीर को रखा गया। यहां हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। दोपहर बाद करीब तीन बजे दामोदर नदी के मोहलबनी घाट पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। एके राय का लंबी बीमारी के बाद रविवार (21 जुलाई) को बीसीसीएल के केंद्रीय अस्पातल में निधन हो गया था। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनार्थ टेंपल रोड स्थित एमसीसी कार्यालय में रखा गया गया था। सोमवार सुबह हजारों लोगों ने अपने प्रिय मजदूर नेता एके राय के पार्थिव शरीर पर फूल-माला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पूर्व सांसद कॉमरेड एके राय की अंतिम यात्रा लाल सलाम की गूंज के साथ पुराना बाजार टेंपल रोड स्थित मासस कार्यालय से मोहलबनी घाट के लिए रवाना हुई।
शिबू सोरेन भी पहुंचे लालबंग्ला मैदान, दी श्रद्धांजलि
कॉमरेड राय को श्रद्धांजलि देने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन भी लालबंगला मैदान पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि मजदूरों की लड़ाई लड़ने के दौरान हमदोनों साथ में जेल गये थे। एके राय को पूरा देश याद रखेगा। हम उन्हें कभी नहीं भूल पाएंगे। साथ ही मजदूरों के हित के लिए जो आंदोलन उन्होंने शुरू किया था उसे आगे भी जारी रखेंगे।
ईमानदारी और सादगी की प्रतिमूर्ति थे राय दा
राजनीति में ईमानदारी और सादगी की प्रतिमूर्ति थे राय दा। राय दा ने अपनी जिंदगी में हर उन सुविधाओं का त्याग किया, जिससे देश की गरीब जनता वंचित है। तीन-तीन बार विधायक और सांसद रहने के बावजूद उन्होंने एक साइकिल तक नहीं खरीदी। अपना कोई घर नहीं बनाया। भीषण गर्मी में हाथ में पंखा लिए हुए जमीन पर चटाई बिछाकर सोना। घर-ऑफिस कहीं भी बिजली से चलने वाला पंखा नहीं। कपड़े भी खुद धोना। कभी कोई सुरक्षाकर्मी और अंगरक्षक नहीं। विधायक-सांसद रहते हुए हमेशा आम जनता की तरह बस, टेंपो, ट्रेकर में सफर किया। किसी कैडर की बाइक से घूमे। बतौर सांसद नई दिल्ली के लिए ट्रेन से स्लीपर क्लास में सफर किया।
तीन बार विधायक और तीन बार सांसद रहे कॉमरेड राय
कोलकाता विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वे धनबाद जिले के सिंदरी स्थित पीडीआईएल में नौकरी करने आये। वहां ठेका मजदूरों की स्थिति से व्यथित होकर नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे। माकपा के टिकट पर पहली बार वर्ष 1967 में सिंदरी से विधायक बने। वर्ष 1969 में दूसरी बार तथा वर्ष 1972 में तीसरी बार जनवादी संग्राम समिति के उम्मीदवार के तौर पर सिंदरी के विधायक चुने गये। माकपा से अलग होने के बाद राय दा ने मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का गठन किया और जेपी आंदोलन के दौरान विधानसभा से इस्तीफा देकर जेल गये। जेल से ही पहली बार 1977 में धनबाद के सांसद बने। फिर 1980 में दूसरी बार तथा 1989 में तीसरी बार सांसद चुने गये। धनबाद कोयलांचल में प्रभावशाली मजदूर संगठन, बिहार कोलियरी कामगार यूनियन की स्थापना की। झारखंड आंदोलन को मुकाम तक पहुंचानेवाले राजनीतिक संगठन झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्रधार रहे।