बाज़ार में आ गया है फ़ीमेल वायाग्रा, लेकिन इसको लेकर क्यों मचा है हंगामा?

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बाज़ार में आ गया है फ़ीमेल वायाग्रा, लेकिन इसको लेकर क्यों मचा है हंगामा?

सिटी पोस्ट लाइव :   अमरीकी महिलाओं में सैक्सुअल इच्छा का न होना गंभीर समस्या बन गया है.इस बीमारी को ‘एचएसडीडी’ का नाम दिया गया है.इस बीमारी को दूर करने के लिए यानी महिलाओं में सेक्स की इच्छा बढाने के लिए एक नयी दवाई मार्किट में आ गई है. इसका नाम है ब्रेमेलानोटाइड. लेकिन व्यावसायिक तौर पर यह वायलेसी के नाम से उपलब्ध होगा. इस दवा के बारे में दावा किया जा रहा है कि इससे महिलाएं अपनी यौन इच्छाओं को बढ़ा सकती हैं.अमरीका में सार्वजनिक स्वास्थ्य और खाद्य मामलों पर नज़र रखने वाली संस्था फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने बीते 21 जून को एक नई दवा के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है.

यह दवा दरअसल उन महिलाओं को ध्यान में रखकर विकसित की गई है जिनके मेनोपॉज चक्र के प्रभावित होने का कोई लक्षण नहीं होता लेकिन वे हाइपो-एक्टिव सेक्शुअल डिज़ायर डिसऑर्डर (एचएसडीडी, यानी महिलाओं की सेक्स में दिलचस्पी में कमी) से पीड़ित हैं.डॉक्टरी भाषा में एचएसडीडी की स्थिति तब आती है, जब सेक्स में दिलचस्पी नियमित और लगातार कम हो जाती है. अनुमान के मुताबिक़ अमरीका में मां बनने की क्षमता रखने वाली महिलाओं में 6 से 10 प्रतिशत महिलाएं इसकी चपेट में हैं.

क्या वायलेसी कारगर है? या फिर ब्रेमेलानोटाइड के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा? ये सवाल पूछे जा रहे हैं.वायलेसी को पॉलाटिन टेक्नालॉजी ने विकसित किया है और इसकी बिक्री का लाइसेंस एमैग फर्मास्यूटिकल्स के पास है. इसे ख़ुद से इस्तेमाल करने लायक इंजेक्शन के तौर पर विकसित किया गया है.इस इंजेक्शन के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह घबराहट को कम करेगा और दो न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर पर नियंत्रण रखकर यौन इच्छा को बेहतर बनाएगा. ये दो न्यूरोट्रांसमीटर हैं- डोपामाइन की उपस्थिति को बढ़ाना और सेरोटोनिन के स्राव को रोकना.

इस नई दवा को बाज़ार में पहले से मौजूद अडयाई से मुक़ाबला करना होगा. स्प्राउट फर्मास्यूटिकल्स की यह दवा गोली के तौर पर मिलती है और इसके इस्तेमाल को एफ़डीए ने 2015 में मंज़ूरी दी थी.उस वक़्त भी इस दवा को मंज़ूरी दिए जाने पर विवाद उठा था क्योंकि कई विशेषज्ञों का कहना था अडयाई मामूली असर वाली दवा और असुरक्षित भी है.वायलेसी के निर्माताओं ने कहा है कि इस दवा को लेने के दौरान मरीजों को अल्कोहल छोड़ने की ज़रूरत नहीं होगी, अडयाई ले रहे लोगों को पहले अल्कोहल छोड़ने की सलाह दी जाती है.इतना ही नहीं वायलेसी बनाने वाले यह भरोसा भी दिला रहे हैं कि इसके कम साइड इफेक्ट होंगे और तेज़ी से असर होगा, हालांकि इसके लिए रोज़ाना इंजेक्शन लेना ज़रूरी नहीं होगा.

2016 के एक अध्ययन के मुताबिक़, अमरीका की प्रत्येक 10 महिलाओं में एक एचएसडीडी की चपेट में है, लेकिन ज़्यादातर महिलाएं इसका इलाज़ नहीं कराती हैं.एमैग फर्मास्यूटिकल्स के कार्यकारी निदेशक विलियम हेडेन कहते हैं, “समस्या झेल रहीं अधिकांश महिलाएं चुप ही रहती हैं, ऐसे में इस उत्पाद के लिए वास्तव में बाज़ार नहीं है.”लेकिन बाज़ार के विश्लेषकों का अनुमान है कि वायलेसी का सालाना करोबार एक अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा.

नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च के अनुसार वायलेसी को अडयाई की तरह रोज़ इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं है. और बुरी ख़बर यह है कि लोगों को सुरक्षा के लेकर भरोसा नहीं हो रहा क्योंकि इस दवा का लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर होने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी नहीं है.”वायलेसी का 24 सप्ताह तक ट्रायल किया गया है, इस दौरान एचएसडीडी से पीड़ित 1200 महिलाओं को ये दवा दी गई. अधिकांश महिलाओं को महीने में दो या तीन बार इसके इंजेक्शन दिए गए. किसी को भी सप्ताह में एक से अधिक इंजेक्शन नहीं दिया गया.इनमें से 25 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनकी यौन इच्छा बढ़ी है. जबकि प्लेसेबो लेने वाली महिलाओं में 17 प्रतिशत के आंकड़े से यह बेहतर है.

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