आपके बच्चे को सांस की समस्या है तो जानिये कारण और निदान .
सिटी पोस्ट लाइव : कॉकरोच के बारे में आप जरुर जानते होगें. शायद ही कोई घर हो जहाँ कॉकरोच का प्रकोप नहीं हो. कॉकरोच के कीड़े शहरों में रहना पसंद करते हैं, क्योंकि वहां उन्हें बढ़ने के लिए हर ज़रूरी चीज़ मिलती है.किचन में इधर से उधर रेस लगाते, बर्तनों को चाटते, दरारों में घुसते-निकलते कॉकरोच से हर घर की महिलायें परेशान रहती हैं. आमतौर पर इनसे निपटने के लिए लोग कीटनाशक का प्रयोग करते हैं. लेकिन एक बात जान लीजिये अब ये कीटनाशक कॉकरोच का कुछ नहीं बिगाड़ पायेगें क्योंकि बाज़ार में उपलब्ध हर कीटनाशक कॉकरोच पर बेअसर हो गया है.
हाल में अमरीका के इंडियाना की परड्यू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया है, जिसमें बताया गया है कि कॉकरोच कीटनाशकों से इम्यून हो गए हैं. यानी उन्होंने कीटनाशकों से बचने के तरीके ढूंढ लिए हैं. सालों से केमिकल की मदद से कीड़ों की बढ़ती आबादी को रोकने की कोशिश हो रही है लेकिन नाकामी ही हाथ लग रही है.आमतौर पर कॉकरोच को भगाने के लिए किसी केमिकल एजेंट का इस्तेमाल किया जाता है. अगर वो काम नहीं करता तो हम कोई दूसरा केमिकल इस्तेमाल करके देखते हैं. कई बार अलग-अलग कीटनाशकों को मिलाकर भी कोशिश की जाती है.लेकिन रिसर्चरों का कहना है कि दुनिया भर के शहरों में तेज़ी से बढ़ रहे जर्मन कॉकरोच पर कई तरह के कीटनाशक बेअसर हो गए हैं.वैज्ञानिकों ने उन कीटनाशकों के साथ प्रयोग किया, जो आम लोगों के लिए बाज़ारों में उपलब्ध हैं, साथ ही जो कीड़े-मकोड़े भगाने वाली कंपनियां इस्तेमाल करती हैं..
“इस मामले पर अबतक कोई रिसर्च नहीं हुई है कि क्या कॉकरोच कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं. एक जो सबसे हैरान करने वाली बात पाई गई वो ये थी कि अगली पीढ़ी के कॉकरोच पर कीटनाशक अभी से बेअसर हो गए हैं.”वैज्ञानिकों ने अपने सैंपल में कीटनाशक बदल-बदल के देखे, लेकिन ये प्रयोग भी नाकाम रहा.
आखिर कितने खतरनाक हैं ये कॉकरोच .ये कॉकरोच नामक ये कीड़े कई तरह की संक्रामक बीमारियां फैलाते हैं. इनमें सांस और पेट से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं.आज हर बच्चे को सांस की समस्या है और उसकी एक बड़ी वजह कॉकरोच हैं.विशेषज्ञों का मानना है कि कॉकरोच की इस प्रतिरोधक क्षमता की वजह से उनकी बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना मुश्किल हो गया है. कॉकरोच से बीमारियों का खतरा भी बढ़ेगा.दरअसल, “कॉकरोच का मल एलर्जी पैदा करने वाला तत्व होता है, जिसकी वजह से अस्थमा का अटैक हो सकता है. इसके अलावा सांस से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा भी रहता है.”
ये कीड़े वहां रहना पसंद करते हैं जहां खाना हो, जैसे की किचन की सतह पर, शेल्व या स्टोव पर. वहां वो ऐसे बेक्टेरिया छोड़ देते हैं, जिनकी वजह से पेट से जुड़ी गंभीर समस्याएं और डायरिया हो सकता है.वैज्ञानिकों का मानना है कि कॉकरोच पर नियंत्रण शहरों के विकास और उनकी कीड़ों से निपटने की क्षमता पर निर्भर करेगा.जिन जगहों पर कम संसाधन होंगे, वहां कीड़ों से निपटने में ज़्यादा परेशानियां आएंगी.जिन शहरों में या घरों में अच्छा वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होता, वहीं कॉकरोच पनपने लगते हैं.कॉकरोच शहरों में पनपने वाले कीड़े हैं. इस जीव के लिए इमारतें और बड़े कूड़ेदान बढ़िया घर हैं.
वैज्ञानिक कुछ आसान से तरीके बताते हैं, जिनसे आप अपने घर को इन कॉकरोच का अड्डा बनने से बचा सकते हैं. सबसे पहले उन जगहों को साफ करते रहें, जहां धूल, गर्मी या खाने के टूकड़े इकट्ठा हो जाते हैं.एक ही कीटनाशक को बार-बार इस्तेमाल ना करें. अगर कीटनाशक छिड़कने से कॉकरोच खत्म नहीं हो रहे हैं, तो दूसरा केमिकल इस्तेमाल कीजिए. नहीं तो वो उससे प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेंगे.दरारों को ठीक करवाएं, क्योंकि वो इन कीड़ों के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत होती हैं.खाने को बाहर खुला ना छोड़ें.कचरे के डब्बे को थोड़े-थोड़े दिनों में धोते रहें.उन कालीनों को हटाएं और जगहों को साफ करें जहां नमी इकट्ठा हो जाती है.वैज्ञानिकों का मानना है कि सफाई की आदत डालकर इन कीड़ों की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है.अगर आपने कॉकरोच से बचने का उपाय नहीं किया तो आपका घर बीमारियों का घर बन सकता है.