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डायन-बिसाही के मामले में दोषियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो

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डायन-बिसाही के मामले में दोषियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिसियेटिव की ओर से झारखंड में डायन बताकर महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर शोध आधारित रिपोर्ट जारी की गयी। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि डायन बताकर महिलाओं के साथ हिंसा करना क्रूरतम अपराधों में से एक है। ऐसे में यह जरूरी है कि इन मामलों की प्राथमिकी दर्ज हो और दोषियों के खिलाफ क्रिमिनल केस फाइल किया जाये। आली ने अपने इस शोध में झारखंड के आठ जिलों से आंकड़ों को संग्रहित किया है और साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डायन बताकर हिंसा किये जाने के क्या कारण हैं। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि डायन बताकर हिंसा किये जाने के मूल में पितृसत्तामक सोच है जिसे अंधविश्वास का जामा पहनाया जा रहा है। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि पीड़िताओं में सामान्य वर्ग की 415प्रतिशत महिलाएं, अन्य पिछड़ा वर्ग की 25.8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति की 34.8 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की भी 34.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। डायन हिंसा के खिलाफ ‘आली’ काम कर रही है और पीड़िताओं को सहायता भी उपलब्ध कराती है। इसी क्रम में आली गांव की महिला समूह की महिलाओं को भी जागरूकता कार्यक्रम से जोड़कर उनके जरिये काम करवा रही है। महिला समूह से जुड़ी लोहरदगा की सुषमा कुजूर ने बताया कि हमारे गांव में डायन प्रताड़ना के कई मामले सामने आये हैं जिनमें हमने जागरूकता का काम किया। ज्यादातर अकेली और विधवा महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है। जिनमें वृद्ध महिलाओं की संख्या ज्यादा है। कुछ लोग अंधविश्वास की वजह से भी डायन हिंसा का कारण बनते हैं। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण ने कहा कि जागरूकता का अभाव होने के कारण इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। महिलाएं अगर हिम्मत करके सामने आयें, तो उन्हें कानून का सहारा मिलेगा और न्याय भी। वहीं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि डायन जैसी कोई चीज नहीं होती है, लेकिन झारखंड में डायन बताकर अकेली महिला का शोषण आम बात है। अकेली महिला की जमीन पर कब्जे के लिए भी कभी उसके चरित्र पर सवाल उठाया जाता है, तो कभी उसे डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है। लेकिन समय बदला है और समय के साथ घटनाओं में कमी आयी है। आज लोग यह जान चुके हैं कि वे अगर इस तरह की हिंसा में शामिल होंगे तो पहचान जाहिर हो जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

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