ये कैसी अनोखी है शादी ? भूत-पिचास,शाकिनी-डाकिनी बने बाराती

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ये कैसी है शादी

सिटीपोस्टलाईव:( सोमनाथ)लालू यादव के दो बेटे हैं तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव.सात बेटियां हैं लेकिन एक ही चर्चित हैं मिसा यादव (अपनी राजनीतिक समझ की वजह से ).तेजस्वी अपनी मां के ऊपर गए हैं. शांत हैं,सौम्य हैं और बोलने में राबडी देबी की तरह धुरंधर.ये दीगर बात है कि राबडी देबी अनपढ़ हैं और ठेठ देशी भाषा समझती और बोलती हैं लेकिन तेजस्वी के पास कोई बड़ी डीग्री नहीं है लेकिन उनकी भाषा भद्र है शालीन है एक बहुत विद्वजन की तरह.उनकी भाषा ,फर्राटेदार अंगरेजी ,विशुद्ध हिंदी सुनकर नहीं लगता कि वे नॉन-मैट्रिक हैं.और पहले सबसे बड़े पुत्र हैं तेजप्रताप .जो अन्दर से तो नरम हैं लेकिन बाहर से गरम.उनकी भाषा ठेठ देशी लालू स्टाइल है.लालू स्टाइल में ही वो अपने विरोधियों को ललकारते हैं और बिना समझे बुझे कोई भी उटपटांग बयान दे देते हैं.

अपनी शादी में तेजप्रताप ने अपने स्वभाव के अनुसार व्यवस्था की.अद्भंगी भोले की स्टाइल में ही उन्होंने अपनी बरात भी निकाली .सैकड़ों घोडा,आधा दर्जन हाथी-ऊंट और सैकड़ों भूत-प्रेत,पिसाच ,शाकिनी-डाकिनी बराती .उन्होंने भोले शंकर की बरात की तर्ज  पर अपने समर्थकों को अड्भंगी वेश भूषा में बराती बना दिया.देखने से यहीं लगा ये बरात किसी राजनेता की नहीं बल्कि भगवान् शिव की बराती निकली है. जैसा की शिवरात्रि के मौके पर निकलती है. बस एक कमी रह गई उन्होंने अपने शरीर में शंकर की तरह भभूत और गले में सर्प का माला नहीं पहना. उनके एक करीबी सहयोगी की मानें तो ऐसा ही वेश वो धारण करने की जीद पर अड़े थे लेकिन घरवालों के दबाव में शेरवानी पहनना स्वीकार कर लिया.

तेजप्रताप हमेशा इसी तरह के अपने कारनामे की वजह से चर्चा में रहते हैं.कभी कृष्ण बनकर बासुरी बजाने लगते हैं तो कभी भष्म लगाकर शिव की तरह धूनी रमाने लगते हैं.उनके एक करीबी सहयोगी ओमप्रकाश की मानें तो वो स्वभाव से ही अड्भंगी हैं.बाहर से जितना कठोर दीखते हैं,अन्दर से उतना ही मुलायम हैं.जब लालू यादव को सजा सुनाई जा रही थी वो अपने गोशाला में चैन की बंशी बजा रहे थे इस दर्शन के साथ कि “ प्रकृति में अनिष्ट का कोई प्रावधान नहीं है. जो भी हो आहा है उसी में मंगल निहित है, बस समझ की फेर है “.अब सबकी नजर इस बात पर है कि शादी के बाद उनके स्वभाव और व्यवहार में क्या परिवर्तन आता है ?

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