बक्सर : हर्षोल्लास के साथ मनाया गया महाराजा सुहेलदेव जी का विजयोत्सव

City Post Live - Desk

बक्सर : हर्षोल्लास के साथ मनाया गया महाराजा सुहेलदेव जी का विजयोत्सव

सिटी पोस्ट लाइव : राजपुर प्रखंड क्षेत्र के बारूपुर पंचायत अन्तर्गत रुपापोखर में महाराजा सुहेलदेव जी के मंदिर परिसर में बड़े धूम धाम के साथ विजय दिवस मनाया गया. इस विजय दिवस कार्यक्रम को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी द्वारा रामइकबाल राजभर के अध्यक्षता में हर वर्ष की तरह इस बार भी भव्य रूप में आयोजित किया गया था. वही मंच का संचालन शशिकांत राजभर ने किया. आयोजित कार्यक्रम में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य डॉ.शैलेश सागर राजवंशी मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह का हिस्सा बनें। डॉ. शैलेश सागर ने मंच को सम्बोधित करते हुए महाराजा सुहेलदेव जी के विजय दिवस के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी.

न्होंने अपने संबोधन में कहा कि राजभर सुहेलदेव जी का जन्म सन 1009 ई. में हुआ था. वे लगभग सन 1027 से 1077 तक अपने राज्य पर शासन किये. इस बीच सोने की चिड़िया कहे जाने वाली हिंदुस्तान पर विदेशी लुटेरों की का आक्रमण बढ़ता जा रहा था. आक्रमणकारियों द्वारा हिन्दुओ का कत्ल किऐं जा रहे थे उस समय देश के अलग अलग प्रान्तों में कुल 585 राजा राज कर रहे थे. किन्तु, महाराजा सुहेलदेव ने अपने 40 किलों वजन वाली तलवार और सैनिकों के साथ देश के दुश्मनों पर भूखे शेर की तरह टूट पड़े.

डॉ सागर ने कहा कि महाराजा सुहेलदेव जी और विदेशी आक्रांता मोहम्मद सैय्यद सलार गाजी के बीच भयंकर युद्ध हुआ, तभी सुहेलदेव जी ने आज ही के दिन अर्थात 10 जून को अपनी वीरता का परिचय देते हुए उत्तरप्रदेश के बहराईच क्षेत्र के नामपारा के जंगलों में उसकी सेना सहित उसे भी मौत के घाट सुला दिये. इस प्रकार महाराजा सुहेलदेव जी ने विदेशी हमलावरों से न केवल हिन्दुओ की रक्षा किये अपितु पूरे हिंदुस्तान को बचाया.

डॉ शैलेश सागर ने कहा कि महाराजा सुहेलदेव जी के इसी वीरता को याद करते हुए हर वर्ष 10 जून को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. आयोजित कार्यक्रम के दौरान काराकाट लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी कमलेश राजवंशी,बक्सर लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी उदय नारायण राजभर, परशुराम राजभर,हरेन्द्र राजभर, आजाद पासवान, कमलेश राजभर, नन्दू राजभर, मनोज राजभर, काशीनाथ राजभर, राधेश्याम राजभर, कृष्णकान्त राजभर सहित कई अन्य ग्रामीण इस अवसर पर मौजूद रहे.

विकाश चन्दन की रिपोर्ट

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