बिहार की 8 सीटों पर कल वोटिंग, जानिए जातीय समीकरण किसके पक्ष में
सिटी पोस्ट लाइव : लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान का काउंटडाउन शुरू हो चूका है. बिहार की लोक सभा की अंतिम आठ सीटों पर 19 मई को वोट डाले जायेगें. नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद सीट के लिए 19 मई को वोट डाले जाने हैं. इस चरण में कई दिग्गजों के राजनीतिक भाग्य का फैसला होना है.चार केन्द्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है.
इस चुनाव में विकास से लेकर राष्ट्रवाद, वंशवाद जैसे कई मुद्दों पर जमकर भाषण और बयानबाजी हुई. लेकिन सच्चाई ये है कि बिहार में जब चुनाव का समय आता है और उम्मीदवार के चयन से लेकर वोटिंग शुरू होती है सारे मुद्दे पीछे छुट जाते हैं और सबकुछ जातीय समीकरण पर ही होता है. इन आठ सीटों पर भी जातीय समीकरण पर सबकी निगाहें टिकी हैं. सभी पार्टियाँ अपने अपने वोटबैंक को साधने के अलावा दूसरे के वोट बैंक पर सेंघ लगाने की कोशिश में जुटी हैं.
सबसे पहले बात नालंदा सीट की.बिहार के लिहाज से यह सीट बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है. इस सीट पर कौशलेन्द्र जेडीयू से उम्मीदवार हैं तो महागठबंधन की ओर से ‘हम’ उम्मीदवार अशोक कुमार आजाद हैं. ये दोनों ही उम्मीदवार अतिपिछड़ा वर्ग से आते हैं. नालंदा सीट का जातीय समीकरण देखें तो यहां कुर्मी -25 प्रतिशत, यादव 20 प्रतिशत, अल्पसंख्यक – 9 प्रतिशत, कुशवाहा – 10 प्रतिशत, अतिपिछड़ा-13 प्रतिशत, सवर्ण-9 प्रतिशत, महादलित-13 प्रतिशत तो अन्य जातियां 1 प्रतिशत है.यहाँ से हमेशा नीतीश कुमार का उम्मीदवार ही चुनाव जीतता रहता है .अब देखना ये है कि इसबार जातीय समीकरण क्या गुल खिलाता है.
पटना साहिब
पटना साहिब की सीट से देश के दो चर्चित हस्तियां चुनाव मैदान में हैं.एनडीए की ओर से केन्द्रीय मंत्री बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद हैं. तो दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से वॉलीवुड के शॉटगन और बीजेपी के ‘शत्रु’ शत्रुघ्न सिन्हा उम्मीदवार हैं. इन्हीं दोनों के बीच सीधा मुकाबला है. दोनों ही हाईप्रोफाइल उम्मीदवार पटना के ही निवासी हैं और दोनों ही कायस्थ जाति से आते हैं, जो पटना साहिब की सीट पर फैसला करने में अपनी सबसे बड़ी भूमिका अदा करती है. इस सीट का जातिगत समीकरण देखें तो सवर्ण- 23.65 प्रतिशत है. जिसमें कायस्थ वोटरों की संख्या तकरीबन 8 प्रतिशत है. जबकि यादव – 17.10 प्रतिशत, मुस्लिम- 6.70 प्रतिशत और दलित- 15.66 प्रतिशत हैं.
पाटलिपुत्र सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई है. बीजेपी की ओर से केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव हैं तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी प्रत्याशी मीसा भारती है. पिछली बार भी चाचा भतीजी आमने सामने हुए थे तो इस बार भी दोनों आमने सामने हैं. यादव बहुल इस सीट के जातिगत समीकरण में यादव- 24.24 प्रतिशत, भूमिहार-10.22 प्रतिशत, मुस्लिम- 8 प्रतिशत, कुर्मी-7 प्रतिशत और अन्य जातियां- 23.82 प्रतिशत हैं.
आरा
यह सीट भी इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि यहां से केन्द्रीय मंत्री आर के सिंह बीजेपी उम्मीदवार हैं और उनके सामने सीपीआई माले के राजू यादव हैं. इस सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो सवर्ण- 28.19 प्रतिशत, यादव- 20.80 प्रतिशत, मुस्लिम- 8.23 प्रतिशत और दलित- 14.55 प्रतिशत हैं.यहाँ दलित वोटर ही इसबार निर्णायक भूमिका में हैं. जिसको उनका साथ मिलेगा उसी के सर जीत का सेहरा होगा.
बक्सर सीट भी हाईप्रोफाइल है. यहां बीजेपी से केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे हैं. चौबे का सीधा मुकाबला आरजेडी के जगदानंद सिंह से है. यह सीट भी सवर्ण बहुल सीट मानी जाती है. यहां सवर्ण- 22.47 प्रतिशत, यादव- 17.27 प्रतिशत, मुस्लिम- 6.38 प्रतिशत और दलित- 16.39 प्रतिशत है.इसबार अश्वनी चौबे की चुनौती बढ़ी हुई है क्योंकि जातीय समीकरण ऐसा है कि मुकाबला कांटे का हो गया है. बक्सर जिले के राजपूत बीजेपी के साथ तो सासाराम जिले के मतदाता जगदानंद के पक्ष में गोलबंद हैं.इसबार ददन पहलवान के मैदान में नहीं होने की वजह से यादवों की गोलबंदी जगदानंद सिंह के पक्ष में है.
सासाराम सीट दलित बहुल के साथ कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. यहां से कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को मैदान में उतारा है तो बीजेपी की ओर से पुराने नेता छेदी पासवान उम्मीदवार हैं. यहां का जातिगत समीकरण कुछ ऐसा है. दलित- 27 प्रतिशत, मुस्लिम- 10 प्रतिशत, राजपूत-10 प्रतिशत, वैश्य- 14 प्रतिशत, यादव 7 प्रतिशत, कुशवाहा-10 प्रतिशत तो एससी वोट बैंक- 4 प्रतिशत का है.
काराकाट की सीट पर पुरे देश की नजर है क्योंकि यहाँ से रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. सीट पर जेडीयू की ओर से महाबली सिंह और RLSP से पूर्व केन्द्रीय मंत्री और एनडीए छोड़कर आए उपेन्द्र कुशवाहा के बीच सीधा मुकाबला है. इस सीट का जातीय समीकरण देखें तो 18.45 प्रतिशत कुशवाहा मतदाताओं के साथ सवर्णों की बड़ी भूमिका रहेगी. यहाँ यादव- 17.39 प्रतिशत, मुस्लिम- 8.94 प्रतिशत और दलित- 19.02 प्रतिशत है.
जहानाबाद सीट यादव और पिछड़ा अतिपिछड़ा बहुल सीट मानी जाती है. जहां से जेडीयू से अतिपिछड़ा वर्ग से चंदेश्वर चन्द्रवंशी उम्मीदवार हैं तो आरजेडी से सुरेन्द्र यादव उम्मीदवार हैं. जहानाबाद में पिछड़ा-अतिपिछड़ा-36 प्रतिशत, यादव- 17 प्रतिशत, भूमिहार-15 प्रतिशत, दलित-महादलित-21 प्रतिशत जबकि मुस्लिम-11 प्रतिशत है.पिछले कई चुनावों से यहाँ से भूमिहार उम्मीदवार ही जीतता आया है. लेकिन इसबार किसी पार्टी ने भूमिहार उम्मीदवार नहीं दिया है. भूमिहार अपनी सीट बचाने के लिए अरुण कुमार के पक्ष में गोलबंद दिख रहे हैं. अगर NDA गोलबंदी को तोड़ नहीं पाया तो RJD की राह आसान हो जायेगी.