“विशेष” : पूर्वोत्तर बिहार की पत्रकारिता के एक युग का हुआ अंत, नहीं रहे वशिकान्त चौधरी

City Post Live - Desk

“विशेष” : पूर्वोत्तर बिहार की पत्रकारिता के एक युग का हुआ अंत, नहीं रहे वशिकान्त चौधरी

सिटी पोस्ट लाइव ” विशेष” : जीवन का आखिरी पड़ाव मृत्यु है। मृत्यु को पराजित करना किसी के वश में नहीं है। आज पूर्वोत्तर बिहार की पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया। वशिकांत चौधरी का आज दिल्ली में निधन हो गया। दिवंगत पत्रकार वशिकान्त चौधरी सहरसा के रमेश झा महिला महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे और उन्होंने अंग्रेजी पत्रकारिता को पूर्वोत्तर बिहार में एक अलग पहचान दिलाई थी। सहरसा के महिषी गाँव के रहने वाले वशिकान्त चौधरी की मकबूत पकड़ हिंदी, मैथिली, संस्कृत, अंगिका और भोजपुरी भाषा पर भी थी। उन्होंने पत्रकारिता भले ही अंग्रेजी अखबारों और पत्रिकाओं में की लेकिन काव्य लेखन में मैथिली और हिंदी भाषा उनपर हावी रही। वशिकान्त चौधरी 1985 से लगातार मरने तक टाईम्स ऑफ इंडिया से जुड़े रहे। कुसहा त्रासदी के समय उनकी लेखनी सिस्टम के लिए आईना थी। कई अखबार घराने और टीवी चैनल्स वाले उनको फॉलो करते थे।

हमेशा निचले पायदान पर लुढ़के लोगों की खबर को उन्होंने प्राथमिकता दी और उनके लिए सदैव सिस्टम से लड़ते रहे। वशिकान्त चौधरी ने कोसी-सीमांचल सहित पूर्वोत्तर बिहार में नैसर्गिक और मूल पत्रकारिता को जिंदा रखा। नेपाल में मधेसियों के आंदोलन पर उन्होंने जमकर लिखा। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि ये शासन और प्रशासन के बड़े कदधारियों से अपना कोई एकल और व्यक्तिगत सम्बन्ध नहीं बनाते थे। कोसी फ्लड और बाढ़ निरोधात्मक कार्यों से लेकर फ्लड फाईटिंग के नाम पर होने वाली सालाना लूट की उन्होंने जमकर पोल-पट्टी खोली थी। स्वभाव से सरल, शौम्य और सुलभ वशिकान्त चौधरी ने अपने गुरुकुल से कई पत्रकार निकाले जो अभी देश के विभिन्य हिस्सों में शीर्षस्थ जगहों पर कार्यरत हैं। इनकी मौत की खबर से खासकर कोसी इलाके में शोक की लहर फैल गयी है। सहरसा जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि पत्रकारिता जगत का एक अनमोल सितारा आज गुम हो गया। यह एक अपूरणीय क्षति है,जिसे भर पाना आसान नहीं है।

ईलाहाबाद से मधेपुरा सांसद पप्पू यादव ने मोबाइल से हमसे बात की और गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हमने आज एक युग पुरुष को खोया है। वशिकान्त जी की मौत से वे मर्माहत हैं और इसे अपनी व्यक्तिगत क्षति मानते हैं। सुपौल सांसद रंजीता रंजन और पूर्व सांसद लवली आनंद, बिहार के आपदा मंत्री दिनेश चंद्र यादव, शरद यादव, राघोपुर के भाजपा विधायक नीरज कुमार सिंह”बबलू”, कोसी की विधान पार्षद नूतन सिंह, सहरसा के पूर्व भाजपा विधायक संजीव झा, सहरसा के पूर्व भाजपा विधायक आलोक झा, सिमरी बख्तियारपुर के पूर्व विधायक डॉक्टर अरुण कुमार यादव सहित कई वर्तमान और पूर्व विधायक ने भी वशिकान्त चौधरी की मृत्यु पर शोक जाहिर किया है। सभी ने पत्रकारिता जगत के लिए इसे अपूरणीय क्षति बताया है। फ्रेंड्स ऑफ आनंद के राष्ट्रीय महासचिव राजन आनंद ने कहा कि कोसी में पत्रकारिता के पुरोधा रहे प्रोफेसर वशिकांत चौधरी अब इस मायावी दुनिया को अलविदा कह दिये। रमेश झा महिला कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे वशिकांत चौधरी देश के नामी अखबार टाईम्स ऑफ इंडिया से जुड़े थे। मूलतः माहिष्मती (महिषी)गाँव के मूल निवासी वशिकांत चौधरी अपने सौम्य और सुशील स्वभाव के लिये सदैव याद किये जायेंगे।

साहित्यकार मुक्तेश्वर मुकेश, राजाराम सिंह, आनंद झा, डॉक्टर रेणु सिंह सहित कई साहत्यकारों ने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि हमने एक महान व्यक्ति को खोया है। सहरसा के पत्रकारों में नवीन निशांत, दीपांकर श्रीवास्तव,कुमार आशीष, कुंदन सिंह, अमरेंद्रकांत, श्रुति, मनोज ठाकुर, संजय स्वर्णकार, संजीव श्रीवास्तव, गंगेश झा, आशीष मिश्रा, कुणाल किशोर, चंदन सिंह, अरविंद मिश्रा, धीरज सिंह, मुकेश कुमार सिंह चुन्नू, रंजीत सिंह, भार्गव कुमार, कुमार अनुभव, राजीव झा, नीरज सिंह पिन्टू, पंकज सिंह, सिद्धार्थ सिंह, मनोज कुमार सिंह, विनय मिश्रा, सुभाष झा, राजन गुप्ता, तेजस्वी ठाकुर, रितेश हन्नी वर्मा, विशाल कुमार, मुरारी कुमार, आनंद झा सहित कई पत्रकारों ने दुःख जताया है। सभी ने समवेत कहा कि सहरसा के पत्रकारों ने आज अपना अभिभावक खो दिया।बताना जरूरी है कि दिवंगत वशिकान्त चौधरी पिछले कुछ वर्षों से बीमार चल रहे थे। सिटी पोस्ट लाइव परिवार भी दिवंगत के प्रति दुःख प्रकट करता है और उनकी आत्मा की चिर शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की ” विशेष ” रिपोर्ट

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