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महिलाओं को उम्मीदवार बनाने से बचते हैं प्रमुख राजनीतिक दल

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महिलाओं को उम्मीदवार बनाने से बचते हैं प्रमुख राजनीतिक दल

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: महिला सशक्तीकरण के दावे करने वाले राजनीतिक दल, झारखंड में महिलाओं को चुनावी टिकट देने में खासा परहेज करते रहे हैं। संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की हिमायत करने वाली बड़ी राजनीतिक पार्टियों का हाल ये है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान किसी भी महिला दावेदार को पार्टी का टिकट तक नहीं दिया। इसबार भी प्रमुख पार्टियों से सिर्फ तीन महिला उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने की चर्चा है। यह हाल तब है जबकि राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या तक़रीबन 47 फीसदी है। झारखंड के रूप में अलग राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से अबतक सिर्फ दो महिला उम्मीदवार ही लोकसभा चुनाव जीत सकी हैं। कांग्रेस के टिकट पर सुशीला केरकट्टा और झामुमो के टिकट पर सुमन महतो चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं। 2004 में खूंटी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सुशीला केरकट्टा ने भाजपा के दिग्गज कड़िया मुंडा को हराया था। जबकि इस चुनाव में जमशेदपुर सीट से झामुमो के सुनील महतो जीते, जिनकी मौत के बाद इस सीट पर 2007 में उपचुनाव हुए तो झामुमो के टिकट पर सुनील महतो की पत्नी सुमन महतो सांसद चुनी गईं। राज्य में लोकसभा के किसी चुनाव या उपचुनाव में महिला उम्मीदवार की आखिरी बार जीत थी। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का दूसरा पहलू यह भी है कि अगर किसी पार्टी ने महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा भी तो मतदाताओं ने उनपर भरोसा नहीं जताया। 2004 के लोकसभा चुनाव में कुल 13 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं। झारखंड के तीनों बड़े दलों कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने महिला उम्मीदवारों को मौका दिया था। भाजपा ने दो उम्मीदवार, जमशेदपुर से आभा महतो और धनबाद से रीता वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन दोनों चुनाव हार गयीं। जबकि राज्य बनने से पूर्व 1999 में रीता वर्मा ने धनबाद लोकसभा सीट जीतकर भाजपा की झोली में डाला था। 2004 में झामुमो ने चंपा वर्मा को कोडरमा से उम्मीदवार बनाया था पर वो भी नहीं जीत सकीं। वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव में राज्य में सिर्फ झामुमो ने ही महिला प्रत्याशी सुमन महतो को टिकट दिया था लेकिन डॉ. अजय कुमार के मुकाबले वे हार गईं। 2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस, भाजपा और झामुमो ने महिला उम्मीदवारों से किनारा कर लिया और इन प्रमुख दलों से किसी भी महिला दावेदार को टिकट नहीं दिया गया।

राज्य में कुल मतदाता
कुल मतदाताः 2,19,81,479
पुरुषः 1,15,07,697
महिलाः 1,04,73,475

बड़ी पार्टियों से सिर्फ तीन महिला उम्मीदवारों की चर्चा
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में आठ सामान्य और छह सुरक्षित सीटें हैं। छह सुरक्षित में 01 एससी और 05 एसटी के लिए सुरक्षित हैं। इसबार के लोकसभा चुनाव में बड़ी पार्टियों से सिर्फ तीन महिला प्रत्याशियों के नाम सामने आ रहे हैं। दुमका से भाजपा की डॉ. लुईस मरांडी का नाम प्रमुखता से चर्चा में है। डॉ. लुईस अभी झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं। इसके अलावा सिंहभूम (चाईबासा) से गीता कोड़ा का नाम चल रहा है। सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की शर्त पर ही वे कांग्रेस में शामिल हुई। गीता कोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं। आय से अधिक संपत्ति मामले में मधु कोड़ा जेल भी जा चुके हैं। अभी यह मामला कोर्ट में है। पलामू लोकसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रही हैं। पलामू से अभी भाजपा के वीडी राम सांसद हैं, जो झारखंड के डीजीपी रह चुके हैं।
धनबाद में सबसे अधिक महिला वोटर
झारखंड में आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा 8.57 लाख महिला मतदाता, धनबाद लोकसभा क्षेत्र में हैं। 2014 में तीन महिला उम्मीदवार हेमलता मोहन, रितु रानी सिंह और सुमन बनर्जी चुनाव मैदान में थीं लेकिन तीनों अपनी जमानत नहीं बचा पायीं।

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