राहुल 14 सीटों की मांग पर अड़े, अब 22 को लालू यादव लेगें अंतिम फैसला
सिटी पोस्ट लाइव: महागठबंधन में सीटों के बटवारे को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है. मंगलवार को राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव की दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में राहुल गांधी 14 सीटों की मांग पर अड़े रहे. सूत्रों के अनुसार RJD 10 सीटें देने के लिए तैयार हो गई है लेकिन 4 सीटों को लेकर पेंच फंस गया है. आज फिर पटना में महागठबंधन के घटक दलों की बैठक है. लेकिन ये बैठक महज दिखावे की होगी क्योंकि इसमे कई घटक दलों के नेता शामिल नहीं होगें. VIP पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी नाराज होकर मुंबई जा चुके हैं और जीतन राम माझी गया निकल चुके हैं.
सूत्रों के अनुसार पटना के गांधी मैदान में आयोजित जन-आकांक्षा रैली में जुटी भीड़ से उत्साहित राहुल गांधी 14 सीटों की मांग पर अड़ गए हैं. अब मामले को सुलझाने के लिए कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह 22 फ़रवरी को सीटों के बटवारे को अंतिम रूप देने के लिए रांची रिम्स जाकर लालू यादव के साथ मुलाक़ात करेगें. सूत्रों के अनुसार लालू यादव राहुल गांधी की भावना का सम्मान रखने के लिए मुश्किल से एक दो सीट और बढ़ा सकते हैं. लेकिन 14 सीट देने का सवाल ही नहीं उठता.गौरतलब है कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच 30 मिनट तक मीटिंग चली. लेकिन 14 सीटों की मांग पर राहुल गांधी के अड़ जाने से बात फाइनल नहीं हो पाई.
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि कांग्रेस और RJD के बीच सीटों पर समझौता लगभग हो गया है. 10- 11 सीटों पर समझौता हो सकता है. किशनगंज, कटिहार, दरभंगा, समस्तीपुर सीट, सासाराम, औरंगाबाद, बाल्मीकि नगर, सुपौल,और मुंगेर सीट कांग्रेस के कोटे में जा सकती हैं. बाकी सीटों को लेकर माथापच्ची अभी भी जारी है.
आपको बता दें कि पिछले महीने सीट बंटवारे को लेकर तेजस्वी यादव, RLSP चीफ उपेन्द्र कुशवाहा और VIP पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की थी. वहीं शनिवार 5 जनवरी को महागठबंधन में शामिल लोजद पार्टी के मुखिया शरद यादव और हम के जीतन राम मांझी ने भी लालू यादव से मुलाकात की. मुलाकात के बाद अब यह बैठक बहुत अहम हो जाती है.गौरतलब हो कि लालू यादव से मुलाकात के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने मीडिया से कहा था कि सीट शेयरिंग पर लगभग सब कुछ फ़ाइनल हो चुका है. लेकिन जिस तरह से जीतन राम मांझी कांग्रेस से एक सीट ज्यादा की मांग पर अड़े हैं, लगता है कांग्रेस और RJD के बीच समझौता हो जाने के वावजूद छोटे घटक दलों को मनाना आसान काम नहीं होगा.