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नहीं आयी डॉक्टर, हटिया में एलेप्पी एक्सप्रेस की बॉगी में प्रसव के बाद नवजात की मौत

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नहीं आयी डॉक्टर, हटिया में एलेप्पी एक्सप्रेस की बॉगी में प्रसव के बाद नवजात की मौत

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: रेल प्रशासन रांची की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा की वजह से एलेप्पी एक्सप्रेस ट्रेन की स्लीपर बॉगी में जन्म लेने के एक घंटे के अंदर ही नवजात की मौत हो गई और मां की स्थिति गंभीर बनी हुई है। हद तो तब हो गई जब रेल डॉक्टर ने बगैर किसी अटेंडेंट के प्रसुता को मृत बच्चे के साथ सदर अस्पताल भेज दिया और ड्राइवर अस्पताल के गेट पर महिला को उतार कर एंबुलेंस लेकर भाग निकला। इसके बाद वह सफेद झोले में नवजात के साथ सदर अस्पताल में घुमती रही और उसे भर्ती नहीं किया गया। दोपहर 12 बजे मीडिया के हस्तक्षेप के बाद उसे भर्ती किया गया। यह पूरी अमानवीय घटना बुधवार सुबह करीब नौ से दोपहर 12 बजे के बीच हटिया रेलवे स्टेशन और रांची में हुई। हुआ यह कि एलेप्पी एक्सप्रेस की स्लीपर बॉगी एस8 में लोहरदगा की रहनेवाली 21 वर्षीय इंद्रमणि देवी अपने पति तेतरू खरवार (22) और ननद मंतियारे के साथ सफर कर रही थी। गर्भवती इंद्रमणि अपने परिवार के साथ तमिलनाडु से रांची आ रही थी। इसी दौरान उसे प्रसव पीड़ा हुई। तब तक ट्रेन हटिया स्टेशन पहुंच चुकी थी। तत्काल इंद्रमणि के पति तेतरू ने रेल प्रशासन को इसकी सूचना दी। हटिया स्टेशन के रेल कर्मियों ने इसकी सूचना रेल अस्पताल को दी। वहां से रेल अस्पताल की महिला डॉक्टर को जानकारी दी गई, लेकिन उन्होंने आना जरूरी नहीं समझा और मानवता को तिलांजलि देते हुए स्टेशन पर आने से इनकार कर दिया। कहा, अगला स्टेशन रांची है। वहीं पर महिला और बच्चे को डॉक्टर देख लेंगे। इसके बाद हटिया से ट्रेन खुली और रांची रेलवे स्टेशन पहुंची। वहां पर रेल डॉक्टर संजीव आये, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। जांच के बाद डॉ. संजीव ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। साथ ही प्रसुता इंद्रमणि की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रांची रेफर कर दिया। इसके बाद रांच रेलवे स्टेशन पर एक एंबुलेस बुलाई गई और उसमें इंद्रमणि को मृत बच्चे और परिवार के साथ सदर अस्पताल भेज दिया गया। हद तो तब हो गई जब रेल डॉक्टर संजीव ने प्रसुता इंद्रमणि के साथ रेल अस्पताल के किसी भी स्वास्थ्य कर्मी को एंबुलेंस में नहीं भेजा। नतीजा हुआ कि गैरजिम्मेदार और लापरवाह एंबुलेंस ड्राइवर ने गंभीर स्थिति में ही इंद्रमणि और मृत बच्चे को सदर अस्पताल के मुख्य गेट पर ही उतार कर भाग गया। इसके बाद सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी। दो घंटे तक नवजात का शव एक सफेद झोले में लेकर इंद्रमणि उसी हालत में भटकती रही, लेकिन सदर अस्पताल में उसे किसी ने भर्ती नहीं किया। दोपहर करीब 12 बजे मीडिया के लोग पहुंचे और मामले की गंभीरता को समझते हुए रेल और सदर अस्पताल प्रशासन से बात की तब इन लोगों की नींद खुली। रेल डॉक्टर संजीव ने अपने ड्रेसर श्याम देव को सदर अस्पताल भेजा। इसके बाद मीडियाकर्मियों की पहल के बाद इंद्रमणि को सदर अस्पतालम में भर्ती किया गया।

प्रसुता की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती, जांच चल रही हैः डॉ. किरण
सदर अस्पताल की डॉ. किरण ने बताया कि यहां पहुंचने के पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी, लेकिन उसकी मां इंद्रमणि को एडमिट कर लिया गया है। उसकी जांच चल रही है। स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती। दवा शुरू की गई है। सुधार हो जाना चाहिए।
डॉक्टर पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिएः तेतरू खरवार
नवजात की मौत के बाद सदर अस्पताल में पत्नी का इलाज करा रहे तेतरू खरवार ने कहा कि हटिया स्टेशन पर डॉक्टर अगर समय पर आ जाती तो मेरा नवजात की जान बच जाती। सिर्फ डॉक्टर की वजह से उसकी जान चली गई। उस डॉक्टर पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। उसने कहा कि सदर अस्पताल के गेट पर उतार कर भागने वाले ड्राइवर भी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही रांची रेलवे स्टेशन से एंबुलेंस पर किसी भी कर्मी को नहीं भेजा गया। डॉक्टर ने ध्यान नहीं दिया।

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