सवर्णों को आरक्षण से जुड़ा विधेयक लोकसभा से पारित, राज्यसभा में कल होगा पेश
सिटी पोस्ट लाइव : सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए लोकसभा में मंगलवार को संविधान संशोधन विधेयक पास हो गया. इसके पक्ष में 323 और विरोध में 3 वोट पड़े. केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने 124वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था. इस पर करीब 5 घंटे चर्चा चली. कांग्रेस ने बिल का विरोध नहीं किया, लेकिन पार्टी ने मांग की थी कि बिल पहले संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाए. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा- आप इस बिल का समर्थन कर ही रहे हैं तो आधे मन से नहीं, पूरे दिल से कीजिए. जब यह बिल गरीब सवर्णों के पक्ष में है तो कम्युनिस्टों को भी इसका विरोध नहीं करना चाहिए.
राज्यसभा में सांसदों की मौजूद संख्या 244 है. बिल पारित कराने के लिए वहां दो तिहाई सांसदों यानी 163 वोटों की जरूरत होगी. भाजपा (73) समेत एनडीए के पास 88 सांसद हैं. कांग्रेस (50), सपा (13), बसपा (4), राकांपा (4) आप (3) ने बिल का समर्थन किया है. इनकी संख्या 74 होती है. इस तरह एनडीए और बिल का समर्थन कर रहे विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 162 हो जाती है. 13-13 सांसदों वाली तृणमूल, अन्नाद्रमुक या बीजद (9), तेदेपा (6) और टीआरएस (6) में से किसी एक के समर्थन करने पर भी यह बिल राज्यसभा में आसानी से पारित हो जाएगा.
संसद में चर्चा के दौरान अरुण जेटली ने कहा, ‘”अधिकतर राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी करते वक्त अनारक्षित और आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण दिलाने का जुमला उसमें डाला था. यह कानूनी अड़चनों के जरिए नहीं हो पाया था. अगर आप सभी इसका विरोध नहीं कर रहे हैं तो समर्थन खुलकर करिए. और, कम्युनिस्ट भाइयों से कहना चाहूंगा कि जब गरीबी के आधार पर यह आरक्षण दिया जा रहा है, तो भारत ऐसा पहला देश होगा, जहां गरीबों के आरक्षण वाले बिल का कम्युनिस्ट विरोध कर रहे होंगे.’’
जेटली ने कहा- यह केवल भाजपा और एनडीए की बात नहीं है, कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने भी एक जैसी भाषा में इस तरह के आरक्षण की बात कही थी. सवाल यह है कि यह बात केवल घोषणा पत्र तक ही सीमित रहेगी या फिर यह कानून बनेगा? आज कांग्रेस की परीक्षा है. समर्थन कीजिए तो बड़े मन के साथ कीजिए. केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘पटेल, जाट, गुर्जर, मुस्लिम, ईसाई और सभी धर्मों के लोग और वे लोग जो एससी-एसटी व ओबीसी आरक्षण के दायरे में नहीं आते, उन्हें इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। सारे देश में सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लोगों के साथ न्याय होगा.’’
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा- 10 फीसदी आरक्षण के फैसले से हम खुश हैं. अंबेडकरजी ने इस मुद्दे को उठाया था.हम ना हिंदू हैं, ना हम मुसलमान. मुस्लिमों को पाकिस्तान मिला, हिंदुओं को हिंदुस्तान.. हमारे लिए क्या है? तब जाकर आरक्षण मिला था. इसके बाद ओबीसी के लिए आरक्षण हुआ. हम पार्टी-राजनीति में नहीं जाते हैं. अब ऊंची जाति के गरीब लोग ही बचे हैं. ऊंची जाति के गरीब लोगों के लिए यह बिल जरूरी है.
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा- यह जो बिल लाया गया है आखिरी विधेयक के तौर पर इसे जिस नीयत और नीति से लाया गया है, उसे अवाम भी जानती है. आबादी के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए. हम चाहते हैं कि विचार करने के बाद इस आरक्षण बिल को लाया जाए. मैं इस बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन मैं 100 फीसदी आरक्षण लाए जाने की मांग करता हूं.
कांग्रेस सांसद केवी थॉमस ने कहा- हमें लगता है कि सरकार जल्दबाजी में है और जल्दबाजी में इतना बड़ा फैसला नहीं लिया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि सरकारी सहायता प्राप्त और गैर-सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण दिया जाएगा. जबकि, एससी-एसटी के लिए गैर-सरकारी संस्थानों में ऐसा नहीं है. नौकरियों की बात आती है, तो सरकार बताए कि रोजगार है कहां?
अन्नाद्रमुक सांसद थम्बीदुराई ने कहा- आप जो कानून बना रहे हैं, वह सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाएगा. इस देश से जब तक जातिवाद खत्म नहीं होगा, तब तक कुछ नहीं हो सकता है. आजादी के 70 साल बाद भी यहां जातिवाद क्यों है? उत्तर भारत में कई समुदाय पिछड़ा आरक्षण के दायरे में लाए जाने की मांग कर रहे हैं, आपकी सरकार उनके लिए कुछ क्यों नहीं करती?
इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने विधेयक का समर्थन करने का ऐलान किया. लेकिन कहा, ‘”सवर्ण आरक्षण के प्रस्ताव का उनकी पार्टी समर्थन करेगी. लोकसभा चुनाव से पहले लिए गया यह फैसला हमें सही नीयत से लिया गया नहीं लगता है. यह चुनावी स्टंट और राजनीतिक छलावा लगता है.
आरक्षण के लिए 5 प्रमुख मापदंड
- परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख रु. से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
- परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए.
- आवेदक के पास 1,000 वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए.
- म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए.
- नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर न हो.
संविधान (124वां संशोधन) बिल 2019 में क्या है?
अभी संविधान में जाति और सामाजिक रूप से पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान है. संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान जोड़ा जाएगा.अभी एससी को 15%, एसटी को 7.5% और ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा रहा है.सरकार संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन करना चाहती है, जिसके जरिए राज्यों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार मिलेगा.विशेष प्रावधान उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से जुड़े हैं. इनमें निजी संस्थान भी शामिल हैं. फिर भले ही वे राज्यों द्वारा अनुदान प्राप्त या गैर अनुदान प्राप्त हों. अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.बिल साफ करता है कि आरक्षण मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा.