राज्य में इंटेलिजेंस ब्यूरो की स्थापना कब हुई, पुलिस एसोसिएशन की स्थापना कैसे हुई, आजादी के बाद पटना के प्रथम एसएसपी कौन थे ,ईन तमाम सवालों का जबाब आपको पटना के गांधी मैदान स्थित जिला पुलिस कार्यालय की इस लाल बिल्डिंग में मिलेगा.अब सरकार इस बिल्डिंग को पुलिस म्यूजियम बनाने जा रही है जहाँ आपको पुलिसिंग के इतिहास और मॉडर्न पुलिस व्यवस्था के बारे में सारी जानकारी मिल सकेगी. म्यूजियम में भारतीय पुलिस सेवा में बिहार के योगदान के बारे में आप यहीं आकर ठीक से जान पायेगें.
पटना जिला पुलिस कार्यालय की यह लाल बिल्डिंग 100 साल पुराना हो चुकी है.अब सरकार इसे धरोहर के रूप में पुलिस म्यूजियम बनाने जा रही है. बिहार की राजधानी पटना बनने के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1918 में गंगा किनारे इस भवन का निर्माण कराया था. यहां पुलिस पदाधिकारी और सिपाही रहते थे.इस लाल बिल्डिंग का निर्माण टिंबर ब्रेसिंग तकनीक से किया गया था यानी पूरे भवन के निर्माण में लोहे का एक भी सरिया इस्तेमाल नहीं हुआ है. चूना और सुरखी से दीवारें और छत में लकड़ी के बीम और पत्थर लगाए गए हैं. दरवाजा, खिड़की और बरामदा आर्च कला से बना है जिसे इसके दुसरे टेल का खपरैल छत अद्भूत बनाता है.
पटना जिला पुलिस कार्यालय की लाल बिल्डिंग का ऊपरी तल हाईकोर्ट, सचिवालय और राजभवन की तर्ज पर बनाया गया है. 20 इंच की मोटी ईट की दीवार पर दो तल का निर्माण कराया गया है.बिहार में पुलिस नियंत्रण कक्ष की परिकल्पना वर्ष 1952 में अंगरेजी सरकार ने की थी .इस लाल बिल्डिंग में जिला पुलिस नियंत्रण कक्ष था जिसका मकसद पटना-नालंदा जिले के सभी थानों से 24 घंटे वायरलेस से सूचनाओं का आदान-प्रदान करना था. इस भवन में जिला नियंत्रण कक्ष, डीआइजी, आइजी, रेल एसपी और ग्रामीण एसपी का कार्यालय आज भी चल रहा है.लेकिन अब सारा दफ्तर बेली रोड बनकर तैयार पुलिस मुख्यालय में चला जाएगा.