नीति आयोग की इस अनुशंसा को लागू करने के बाद BJP का हो जाएगा सफाया?
‘स्ट्रेटजी फॉर न्यू इंडिया @ 75’ की इस अनुशंसा से BJP का हो जाएगा सफाया?
सिटी पोस्ट लाइव : SC/ST एक्ट और आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार से नाराज चल रहे सवर्ण समाज को एक और तगड़ा झटका लगनेवाला है. आरक्षण को लेकर सरकारी नौकरियां पाने में असमर्थ सावन समाज पर मोदी सरकार एक और बड़ी पाबंदी लगाने जा रही है. देश की शीर्ष नीति नियामक संस्था नीति आयोग की सिफारिशों के अनुसार सिविल सर्विसेज मतलब आईएएस की परीक्षा में शामिल होने को जनरल कैटेगरी यानि सवर्ण जातियों के कैंडिडेट्स की मैक्सिमम एज लिमिट को कम कर दिया जाना चाहिए .
नीति आयोग ने चालू हफ्ते में ही ‘स्ट्रेटजी फॉर न्यू इंडिया @ 75’ की सिफारिशें जारी की है . इस स्ट्रेटजी में सबसे अधिक विवाद पैदा करने वाली अनुशंसा है. नीति आयोग का कहना है कि केंद्रीय सेवाओं में नियुक्तियों के लिए जनरल कैटेगरी के अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र सीमा को 2022 – 2023 तक चरणबद्ध तरीके से कम कर देना चाहिए. अभी जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स आईएएस एग्जाम में 30 साल तक की उम्र होने तक शामिल हो सकते हैं .
पर, नीति आयोग अब कह रहा है कि चरणबद्ध तरीके से कम कर इसे जनरल कैटेगरी के लिए अधिकतम 27 वर्ष तक निर्धारित कर देना चाहिए. इस अनुशंसा को मान लिए जाने का सीधा अर्थ यह है कि जनरल कैटेगरी मतलब सवर्ण जातियों के लिए केंद्रीय सेवाओं में भर्ती होने के अवसर आने वाले वर्षों में कम हो जायेंगे . अभी 30 वर्ष के बाद ये जनरल कैटेगरी वाले सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं में नहीं शामिल होने हो सकते हैं, लेकिन आगे 27 वर्षों की उम्र सीमा पूरी होते ही आप वंचित होने लगेंगे .
जनरल कैटेगरी यानी सवर्ण वैसे भी कई सरकारी फैसलों को लेकर अभी नाराज चल रहे हैं. देश के पांच राज्यों में संपन्न विधान सभा चुनाव में ‘नोटा’ के बढ़े प्रतिशत को भी उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है.राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो बीजेपी की सरकार ही चली गई . और अब, नीति आयोग की इस अनुशंसा की जानकारी जैसे – जैसे फैल रही है, जनरल कैटैगरी में असंतोष की चिंगारी बढ़ती जा रही है . नीति आयोग यह भी कह रहा है कि सभी तरह की केंद्रीय सेवाओं के लिए देश भर में ज्वाइंट एग्जामिनेशन ही हो . फिर इसी के रिजल्ट के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बहालियां हों . राज्यों की सरकारें भी इसका फायदा प्राप्त करे .
जाहिर है अगर नीति आयोग की इस सिफारिश को सरकार ने लागू कर दिया तो सवर्ण समाज पूरी तरह से BJP का साथ छोड़ देगा. एकबार फिर वो BJP को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस के साथ खड़ा हो जाएगा. एकबार फिर सवर्ण समाज BJP के खिलाफ सड़क पर उतर सकता है. BJP सवर्ण विरोधी पार्टी घोषित हो सकती है. इसमे शक की कोई गुंजाइश नहीं कि पिछड़ी जातियों और अति-पिछड़ी जाति के वोटर की संख्या देश में ज्यादा है. सरकार उनकी अनदेखी नहीं कर सकती. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि वगैर सवर्ण समाज के समर्थन के कोई पार्टी सत्ता हासिल आजतक नहीं कर पाई है.