फसल बीमा भुगतान में हुई देर तो ब्याज भरेंगी सरकार और बीमा कम्पनियां
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमाकृत किसानों के दावों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइन में फसल के दो महीने के भीतर बीमा कंपनियों द्वारा दावों के निपटारे के लिए समय सारिणी निर्धारित की गयी है| लेकिन किसानों के क्लेम का समय पर भुगतान तभी संभव है जब राज्य सरकारों द्वारा बीमा कंपनियों को समय पर सब्सिडी और उपज का आंकड़ा जारी कर दिया गया हो। राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के प्रश्न के उत्तर में कृषि एवं कृषक कल्याण राज्यमंत्री पुरषोत्तम रुपाला ने यह जानकारी दी| कृषि एवं कृषक कल्याण राज्यमंत्री रुपाला ने बताया कि किसानों को समय पर दावों का भुगतान, बेहतर पारदर्शिता एवं दायित्व सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से सरकार ने योजना की ऑपरेशनल गाइडलाइन में संशोधन किया है जो 01.10.2018 से प्रभावी है। नई गाइड लाइन में दावों के निपटारे के भुगतान के लिए निर्धारित कट ऑफ़ डेट से 10 दिनों से अधिक विलम्ब होने पर किसानों को बीमा कंपनी द्वारा प्रति वर्ष 12% की दर से ब्याज के भुगतान का प्रावधान किया गया है। साथ ही बीमा कंपनियों द्वारा मांग किये जाने अथवा निर्धारित कट ऑफ़ डेट के बाद सब्सिडी के स्टेट शेयर की रिलीज में तीन महीने से अधिक देरी पर राज्य सरकारों को प्रतिवर्ष 12% की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। किसानों की शिकायतों के निवारण के लिए जिला स्तरीय ग्रिवांस रिड्रेसल कमिटी (डीआरजीसी) और राज्य स्तरीय ग्रिवांस रिड्रेसल कमेटी (एसजीआरसी) का प्रावधान किया गया है| फसल बीमा के दावों के भुगतान की मौजूदा स्थिति के बारे में सांसद पोद्दार को बताया गया कि खरीफ 2016, रबी 2016–17 एवं खरीफ 2017 के अधिकांश क्लेम निर्धारित समय सीमा के भीतर सेटल हो गए हैं। मंत्री रुपाला ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2016 का स्वीकृत क्लेम 10494.68 लाख रूपये था। इसके विरुद्ध 10481.80 लाख रूपये का भुगतान किया गया है तथा 12.88 लाख रूपये का भुगतान बाकी है| रबी 2016–17 का स्वीकृत क्लेम 5811.31 लाख रुपये था जिसके विरुद्ध 5651.01 लाख रुपये का भुगतान किया गया है, 160.30 लाख रुपये का भुगतान बाकी है| इसी प्रकार, खरीफ 2017 का स्वीकृत क्लेम 17095.99 लाख रुपये था जिसके विरुद्ध 16770.14 लाख रुपये का भुगतान किया गया है और 325.85 लाख रुपये का भुगतान बाकी है। मंत्री रूपाला ने कहा कि कुछ प्रदेशों में दावों का भुगतान फसल के आंकड़े देने में हुए विलम्ब, राज्यों द्वारा विलम्ब से प्रीमियम सब्सिडी में शेयर जारी करने, राज्यों एवं बीमा कंपनियों के बीच फसलों से सम्बंधित विवाद, राशि ट्रान्सफर करने के लिए आवश्यक किसानों के बैंक खातों का विवरण उपलब्ध नहीं रहने जैसे कारणों की वजह से ही हुआ है|