छत्तीसगढ़ में भाजपा की हुई है असली हार, राजस्थान और मध्यप्रदेश कुछ गलत फैसलों का साईड इफेक्ट
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : पूरे देश में कांग्रेस इस तरह जश्न मना रही है,मानों केंद्र की सत्ता उसने हासिल कर ली हो। लोजद के संरक्षक शरद यादव भजपा के अवसान की भविष्यवाणी कर रहे हैं और कह रहे हैं कि राहुल गांधी का कद इस चुनाव परिणाम से काफी बढ़ा है। राजनीति ऐसी चीज है, जो कयासों और भविष्यवाणी से नहीं चलती है। जनता कब अपना मूड बदल ले, कहना नामुमकिन है। अब शराब, चंद रुपये और नाना तरह के प्रलोभन से वोट हासिल करना मिल का पत्थर है। तेलंगाना और मिजोरम की हवा कुछ और ही थी। वहां भाजपा की हार के कोई सियासी मायने फिलवक्त नहीं है। भाजपा वाकई सिर्फ छत्तीसगढ़ में हारी है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी हारी नहीं है बल्कि वह कुछ फैसलों और कुछ अनदेखी के साईड इफेक्ट का शिकार हुई है।
राजस्थान में सवर्ण आंदोलन, आनंदपाल फर्जी एनकाउंटर, रानी पद्मावती मूवी पर चुप्पी, करणी सैनिकों पर ज्यादती सहित कुछ अन्य सामाजिक कारण वसुंधरा के गले की हड्डी बनी। इसी तरह मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के कुछ सियासी बयान और राजस्थान से आयी हवा उनकी हार की वजह बनी। छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम भाजपा के लिए फजीहत है। छत्तीसगढ़ के लिए भाजपा की चिंता लाजिमी है और वहां किसी विशेष रणनीति की जरूरत है। साथ ही, इसपर सार्थक बहस भी जरूरी है। हम मध्यप्रदेश की चर्चा कर रहे हैं जहां बीजीएपी जीतते-जीतते हारी है। बीजेपी मध्यप्रदेश में 34 सीट पर महज 300 से कम वोट से हारी है। 6 सीट पर 10 से कम वोट से और 2 सीट पर मात्र 1 वोट से हारी है।
भाजपा को कुल वोट में 41.2% वोट मिले जो संख्यां में 83,03745 हैं जबकि कांग्रेस को 41.3% वोट मिले जो 83,21857 हैं ।कुल 42 सीट पर भाजपा महज 18,000 वोट से पराजित हुई है। यानि भाजपा 42 सीट जीत सकती थी। अगर यह 42 सीट भाजपा के खाते में होती, तो आज तस्वीर कुछ और ही होती। नोटा में 1.5% वोट पड़े, जिसकी संख्या 2,98786 है। गौरतलब है कि नोटा वालों ने कुल मिलाकर बीजीएपी की हार की पटकथा लिखी है। अब जरूरत है कि नोटा वालों को गरियाने की जगह उनसे तमीज में रहकर बात करें और उन्हें सलीके से समझाएं और उन्हें विश्वास में लें। सही मायने में अहंकार त्यागना पड़ेगा। यहाँ यह समझने की जरूरत है कि वे सभी बीजेपी समर्थक ही हैं जिन्होंने नोटा दबाया है। इनलोगों को मोदी और बीजेपी के कार्यशैली समझ में नहीं आ रही थी। उन्हें सिर्फ यह पता था कि बीजेपी वाले क्या बोलकर आये थे और क्या कर रहे हैं? राजस्थान के आंकड़ों पर गौर करें तो नोटा वहां भी एक बड़ा फैक्टर बना है।
कुछ जगहों पर लोगों ने कांग्रेस को नहीं बल्कि बीजेपी के खिलाफ वोट किये हैं। राजस्थान की जनता कांग्रेस की सरकार चाहते थे,ऐसी बात नहीं है ।बीजेपी के प्रति लोगों की नाराजगी का तोहफा कांग्रेस को मिला है। कांग्रेस को अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है लेकिन आदत से मजबूर कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता विभिन्य प्रदेशों में जश्न मना रहे हैं। अबीर-गुलाल लागकर ना केवल नगाड़े पीट रहे हैं बल्कि जायकेदार मिठाई का आनंद भी ले रहे हैं। बीजेपी अपनी भूलों को समझे और उसमें सुधार करे, तो 2019 का चुनाव परिणाम उसके पक्ष में आएगा, वर्ना अधिक आत्मविश्वास उसे विपक्ष में बैठने के लिए विवश कर देगा। देश का मूड अभी यह है कि लोग फिर से मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप से सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट