सिटी पोस्ट लाइव : वैसे तो युवाओं को नौकरी देने के नाम पर सरकार ठग ही रही है लेकिन रोजगार मुहैया करवाने के नाम पर मजाक भी किया जा रहा है, सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनायें सिर्फ खानापूर्ति करने का काम कर रही है. इसकी एक मिसाल है बिहार स्टार्ट अप योजना. जहां आए लगभग पांच हजार आवेदनों में से मात्र 29 का ही चयन हो पाया है. उन्हें भी उद्योग विभाग मात्र 71 लाख रुपए की राशि प्रदान कर बड़ी उपलब्धि बता रही है. बिहार स्टार्टअप योजना के पोर्टल पर आए आवेदनों में आवेदन कर्ताओं का कहना है कि मुझे गांव में आटा चक्की खोलनी है, मुझे पान की दुकान लगानी है. मुझे शहर में चलाने के लिए एक ऑटो खरीदना है. दरअसल बिहार सरकार नई स्टार्टअप पॉलिसी के तहत इस योजना के लिए चयनित आवेदकों को दस लाख रुपए देगी. लेकिन राज्य के बेरोजगार युवा आटा चक्की खोलने को स्टार्टअप बनाकर दस लाख रुपए की आस में आवेदन कर रहे हैं.
बिहार के युवा स्टार्टअप को या तो ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं या फिर सरकार ठीक से समझा नहीं पा रही है. वहीं स्टार्टअप को समझने -समझाने के खेल में यानि इसके प्रचार प्रसार में सरकार अबतक 295 लाख रुपया फूंक चुकी है. लेकिन हाल ये है कि युवा स्टार्टअप में आवेदन आटा चक्की और पान की दुकान खोलने के लिए कर रहे हैं. अब समझने वाली बात ये है कि आखिर सरकार युवाओं को सशक्त बनाना चाहती है या बस खानापूर्ति कर उन्हें बरगलाने में लगी है.