सावधान ! ये चरित्र हनन, मान-मर्दन पत्रकारिता का दौर है…

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सावधान ! ये चरित्र हनन, मान-मर्दन पत्रकारिता का दौर है…

सिटी पोस्ट लाइव : देश की धर्म –संस्कृति ,सभ्यता, राजनीतिक सुचिता ,सबका स्वरूप बदल रहा है. देश बदल रहा है. देश के धर्म के मर्म बदल रहे हैं. संस्कृति और सभ्यता के मूल बदल रहे हैं. नेता बदल रहे हैं और देश की राजनीति बदल रही है. और  देश के मीडिया का चरित्र और उसकी भूमिका भी बदल रही है. जब इतना कुछ बदलाव हो रहा हो तो भला जनता इससे बिना प्राभावित हुए कैसे रह सकती है. इन सारे मुद्दों पर एकसाथ चर्चा शुरू की जायेगी तो बात बहुत दूर तक जायेगी .और आज भागदौड़ की जिंदगी में इतना लम्बा सफ़र तय करने को कोई तैयार नहीं. इसलिए आज यहाँ हम चर्चा करेगें केवल मीडिया में शुरू हुई चरित्र हनन और मान-मर्दन की परम्परा की .

पिछले 26 वर्षों से मैं मिडिया में सक्रीय हूँ. इन सालों में मिडिया की भूमिका ,उसके चरित्र में जो कुछ बदलाव आया है, मैं उसका प्रत्यक्षदर्शी हूँ. समय के साथ बदलाव होना चाहिए. मैं बदलाव का पक्षधर हूँ . लेकिन यह बदलाव साकारात्मक होना चाहिए .आजकल खबरिया चैनल हों या अखबार या फिर सोशल मीडिया  सब उलटी दिशा में जाते दिख रहे हैं.खबर वहीँ है जिसका मकसद परिवर्तन हो .खबर वहीँ है जिसमे संवेदना हो .लेकिन आजकल हर जगह चल रही  खबरों पर गौर फ़रमायेगें तो पता चलेगा कि उनमे से  ज्यादातर खबर हैं ही नहीं.हर कोई मान-मर्दन की पत्रकारिता कर रहा है .वैसी खबरों  की भरमार है जिनमे संवेदना नाममात्र की नहीं,केवल  बस केवल उसका मकसद किसी का चरित्र हनन या फिर मान-मर्दन है.पिछले दिनों बिना टिकेट यात्रा करते पकडे गए बक्सर के एडीएम के टीटीई द्वारा पकडे जाने का विडियो वायरल हुआ .यह विडियो हर जगह एक धमाकेदार खबर बनकर चला .. इस खबर को प्रमुखता के साथ मेरे डिजिटल मीडिया पर भी  चलाया गया.

लेकिन जरा सोंचिये –ये खबर कितनी  बड़ी है और  इसमे संवेदना कितनी है.खबर बहुत छोटी है क्योंकि यह एक भूल भी हो सकती है .लाखों लोग ऐसी भूल अक्सर हर रोज करते हैं .संवेदना तो इसमे बिलकुल नहीं क्योंकि एडीएम ने ऐसा कुछ नहीं  किया था जिससे संवेदना जुडी हो. इस खबर में सबसे ज्यादा चरित्र हनन ,मान-मर्दन ही दीखता है. इस खबर  से समाज को कोई फायदा नहीं हुआ केवल एक बड़े अधिकारी  का मान-मर्दन और चरित्र हनन हुआ.

इसके बाद तबादले के बाद होनेवाले बिदाई समारोह में तीन जिलों एसपी के मान-मर्दन और चरित्र  हनन करनेवाली खबरें हर खबरिया चैनलों की सुर्खियाँ बनी.इन खबरों में संवेदना और परिवर्तन और जन-सरोकार बिलकुल शामिल नहीं था.वैशाली के एसपी के बिदाई समारोह को उसके कुछ दोस्तों ने शादी की वर्षगाँठ समारोह में बदल दी क्योंकि संयोग से उसी दिन उसकी शादी का वर्ष-गांठ था.ये खबर बन गई .बहुत बड़ी खबर .सब जगह खूब दबाकर यह खबर दिखाया गया .लेकिन आप खुद सोंचिये इसमे खबर और संवेदना कितनी दिखती है. कोई खबर नहीं, कोई संवेदना नहीं केवल मान-मर्दन और चरित्र हनन है.

मुंगेर एसपी का कसूर बस इतना था कि वह  अपने बिदाई समारोह में एक पुलिसवाला की जगह एक आम आदमी बन गया .एक एसपी तरह गंभीर और आम आदमी से अलग दिखने की जगह जनता के बीच नाचने –गाने लगा.क्या एक पुलिसवाला कभी आम आदमी नहीं बन सकता ? क्या एक पुलिस वाले को गाना गाने और नाचने झूमने  की मनाही है ? क्या उसने जनता के बीच नाच कर गुंडा के पर्याय बन चुके पुलिसवालों की प्रतिष्ठा धूमिल कर दी ? क्या उसके आम आदमी की तरह जनता के बीच नाचने-गाने से प्रदेश और जनता का भारी नुकशान हो गया ,पुलिस की प्रतिष्ठा धूमिल हो गई ? सभी चैनलों की सुर्खियाँ बनकर चली इस बड़ी खबर में आपको खबर कितनी दिखती है और  संवेदना कितनी है ? मेरी समझ से इसमे खबर और संवेदना नाममात्र की भी नहीं.केवल चरित्र हनन और मान-मर्दन है.

इसी तरह से कटिहार एसपी-डीएम द्वारा अपने बिदाई समारोह में “ शोले फिल्म के गाने –“ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेगें, तोड़ेगें दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेगें “ गाना गाने और झुमने की खबर बड़ी खबर बन गई .खबर इसमे इतनी भर थी कि एसपी ने गाना गाते समय अपने रिवाल्वर से हवा में फायरिंग कर दी .यह गैर-कानूनी है . समारोह में या सार्वजनिक जगहों पर इस तरह से फायरिंग करना न केवल कानून के हिसाब से गलत है बल्कि नैतिकता के हिसाब से भी ठीक नहीं.लेकिन जिसका काम ही दिन रात बन्दूक से खेलना है ,ऐसी छोटी=मोटी भूल तो उससे हो ही सकती है. उसका मकसद किसी को डराना या फिर नुकशान पहुँचाना तो कतई  नहीं था.लेकिन इस एक छोटी भूल को एक बड़ा अपराध साबित करने की कोशिश खबरों में दिखी . हद तो तब हो गई जब पुलिस मुख्यालय ने इस खबर पर संज्ञान लेते हुए एसपी के सेंट्रल डेपुटेशन को रद्द कर दिया .इस बड़ी खबर में भी खबर के लिए बहुत कम जगह थी और मान-मर्दन और चरित्र हनन की कोशिश ज्यादा थी .

बड़ी खबर थी जहानाबाद में एक बेटी के साथ छेड़छाड़ करने की .यह एक ऐसी खबर थी जिसमे संवेदना थी.आम लोगों को झकझोर देने की संवेदना .एक बेटी के साथ इस तरह का बर्ताव हो सकता है विश्वास नहीं होता .एक मासूम बेटी से  आधा दर्जन गुंडे छेड़छाड़ करते रहे.उसे नंगा करने को जिस तरह से वो बेताब थे ,दिल दहल जाता है.लेकिन इस खबर को उतनी तरजीह नहीं मिली.खबर बनी ,चली भी लेकिन कुछ घंटो के अन्दर ही यह  गुम हो गई.

सवाल ये उठता है कि इस तरह के खबरों से कितना बड़ा बदलाव होने जा रहा है ?  किसका फायदा होने जा रहा है , समाज का या फिर आम आदमी का ? मेरी समझ से तो किसी का फायदा ऐसी खबरों से नहीं होनेवाला और  ना ही कोई परिवर्तन होनेवाला .इससे केवल यह संदेश जनता और नौकरशाहों के बीच जाता है कि  मिडिया किसी का कभी भी मान-मर्दन और चरित्र हनन करने की असीम क्षमता रखता है.

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