राजद विधायक के बेटे ने कुर्की के डर से एसपी के सामने किया सरेंडर : फजीहत में विधायक
सिटी पोस्ट लाइव, एक्सक्लूसिव : सहरसा के राजद विधायक अरुण कुमार यादव के बेटे टूटू यादव ने कुर्की के डर से आखिरकार सहरसा एसपी के सामने आज सरेंडर कर दिया। सहरसा पुलिस की दबिश का हम इसे नतीजा जरूर कहेंगे लेकिन पुलिस टूटू यादव की गिरफ्तारी नहीं कर पाई, यह पुलिस की विफलता रही। बताते चलें कि राजद विधायक अरुण कुमार यादव के बड़े बेटे टूटू यादव ने इसी साल 20 जुलाई को अपने गाँव आरण में धान रोपाई नहीं करने की वजह से मीरा देवी नाम की एक महादलित महिला को दौड़ा-दौड़ा कर बिजली के वायर से तबतक बेरहमी से पीटा था, जबतक वह बेहोश नहीं हो गयी थी।
इस मामले में महिला का ईलाज पहले एक निजी नर्सिंग होम में हुआ, फिर सदर अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। सदर अस्पताल से आरोपी टूटू यादव ने उसे अपने सहयोगियों के साथ अगवा कर गाँव पहुँचा दिया और पैसे के साथ सामाजिक दबाब के दम पर मामले को दबाने की भरपूर कोशिश की। इस मामले को सिटी पोस्ट लाइव ने जबरदस्त तरीके से उठाया और सूबे के मुखिया सहित राज्य मुख्यालय में बैठे पुलिस के बड़े अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए। चूंकि इतनी बड़ी घटना को लेकर ससमय एफआईआर तक दर्ज नहीं हुआ था। पुलिस राजद विधायक के दबाब में थी। लेकिन कोसी की विधान पार्षद नूतन सिंह ने इस मामले को विधान परिषद में बेहद गंभीरता से उठाया।
विधान परिषद में सवाल उठने पर राज्य मुख्यालय से सहरसा एसपी को डंडा किया गया, तब जाकर एससी-एसटी थाना में एसआई ललन शर्मा के आवेदन पर एफआईआर दर्ज किया गया। लेकिन सहरसा पुलिस टूटू यादव को गिरफ्तार करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी। हमने इस मामले पर फिर सवाल खड़े किए और सहरसा पुलिस के बड़े अधिकारियों पर तंज भी कसे। पुलिस ने न्यायालय से टूटू के घर की कुर्की-जब्ती के लिए प्रार्थना पत्र दिए। कुछ दिन पहले विधायक के पैतृक घर पर कुर्की-जब्ती का इश्तेहार चस्पां किया गया था।
कल यानि 26 नवम्बर को विधायक के घर की कुर्की-जब्ती होनी थी। जब कोई पैरवी और उपाय काम नहीं आया, तो थक-हारकर विधायक पुत्र टूटू यादव ने आज एसपी के गोपनीय में आत्मसमर्पण कर दिया। अब आगे देखना बेहद दिलचस्प होगा कि एससी-एसटी एक्ट से लैस इस मामले में न्यायालय कितनी कठोर कारवाई करती है। जाहिर तौर पर सहरसा राजद विधायक अरुण कुमार यादव की जमकर फजीहत और किरकिरी हो रही है। वैसे विधायक अरुण कुमार यादव ने इस मामले को दबाने का भगीरथ प्रयास किया था लेकिन सबकुछ टांय-टांय फिस्स साबित हुआ।
सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट