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पीआरटी को लेकर एलएनएमयू में कमिटी गठित

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#citypostlive दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने पीआरटी में व्याप्त छात्रों की समस्याओं के निदान के लिए एक कमिटी का गठन किया है। मीडिया कोषांग के अध्यक्ष प्रो. रतन कुमार चौधरी ने इस बाबत आज बताया कि 2009, 2010, 2011 अवं 2012 के पी॰आर॰टी॰ पास ऐसे अभ्यर्थियों जिनका कतिपय कारणों से पंजीयन लंबित था, ऐसे मामलों की जाँच एवं समग्र विचार कर रिपोर्ट जमा करने हेतु एक समिति गठित की है। वाणिज्य संकाय के संकायाध्य़क्ष प्रो॰ अजीत कुमार सिंह के संयोजकत्व में गठित समिति के अन्य सदस्यों में प्रो॰ अनिल कुमार झा संकायाध्यक्ष सामाजिक विज्ञान संकाय, प्रो॰ मनोज कुमार झा संकायाध्यक्ष मानविकी संकाय, प्रो॰ शीला चौधरी संकायाध्यक्ष विज्ञान संकाय तथा प्रो॰ लावण्य कीर्ति सिंह काव्या संकायाध्यक्ष ललितकला संकाय हैं। उप परीक्षा नियंत्रक -प्रथम डॉ॰ अरूण कुमार सिंह के अनुसार इसमें अधिकांश ऐसे मामले हैं जिसमें प्रक्रियागत भूल एवं प्रक्रिया में विलंब के कारण पंजीयन लंबित है। पी॰आर॰टी॰ 2012 में ऐसे अभ्यर्थी जिनका पंजीयन, संसोधित शोध प्रारूप को डी॰आर॰सी॰ तथा रिसर्च बोर्ड में पुन: प्रस्तुत करने का आदेश प्राप्त था जो विभिन्न संकायों में लंबित है। पी॰आर॰टी॰ 2010, 2011, 2012 के कुछ ऐसे मामले हैं जिनका पर्यवेक्षक की अहर्ता/अन्उपलब्धता के कारण शोध प्रारूप जमा नहीं हो सके। विदेशी शोधार्थियों के पंजीयन एवं परीक्षा शुल्क निर्धारण नहीं होने के कारण मामले लंबित हो गए। कुछ ऐसे शोधार्थियों का मामला लंबित है जिन्होंने अवधि विस्तार या पर्यवेक्षक परिवर्तन हेतु आवेदन दिया था परंतु विभागीय प्रक्रिया के कारण संचिका लंबित रह गयी। उप परीक्षा नियंत्रक- प्रथम डॉ॰ सिंह ने बताया कि इस तरह के कुल डेढ़ सौ से अधिक मामले हैं जिसे कार्यभार संभालने के बाद मैंने इन संचिकाओं को देखा एवं कुलपति महोदय के संज्ञाण में दिया। कुलपति महेदय ने इसे प्रस्ताव बनाकर विद्वत परिषद की बैठक में विचारार्थ रखने को निर्देशित किया। दिनांक बाईस अक्टूबर 2018 के अतिरिक्त मदद संख्या छ:, सात, आठ, नौ एवं दस के द्वारा मामला विद्वत परिषद में विचारार्थ रखा गया जिसमें समिति गठित करने का निर्णय पारित हुआ। इन तमाम मामलों को कुलपति ने गंभीरता से लिया एवं त्वरित कार्रवाई करते हुए समिति का गठन किया। समिति की रिपोर्ट प्राप्त हो जाने पर कई शोधार्थियों का वर्षों से लम्बित मामले निष्पादित हो जायेंगें।

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