सिटीपोस्टलाईव:बिहार में बड़े पैमाने पर हुए तबादले को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है.सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने है.विपक्ष इसे चुनावी तबादला मान रहा है जबकि सत्ता पक्ष इसे कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद .आम जनता के बीच भी इतने बड़े पैमाने पर हुआ यह तबादला चर्चा का विषय बना हुआ है.आम जनता का मानना है कि हाल के दिनों में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है .विकास कार्य सुस्त हो गए हैं .नीतीश कुमार चुनाव आने से पहले एकबार फिर से कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर ,विकास कार्यों को तेज कर जनता के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि आज भी उनका एजेंडा सुशासन ही है .कानून-व्यवस्था को दुरुस्त कर विकास कार्यों को जारी रखना चाहते हैं.
जनता को इस बड़े पैमाने पर हुए तबादले से कोई शिकवा शिकायत नहीं. आरा के रामशरण पाण्डेय कहते हैं-“सरकार किसे डीएम-एसपी बनाती है उससे आम आदमी को कोई लेना-देना नहीं.आम आदमी को कानून व्यवस्था दुरुस्त चाहिए.विकास कार्य होते रहना चाहिए “.लेकिन सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चिंता ऐसे अधिकारियों के संभावित तबादले को लेकर व्यक्त की जा रही है जो पीपल फ्रेंडली हैं.जो ठीक से विकास कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ ठीक से अभियान चला रहे हैं.सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चिंता पटना के एसएसपी मनु महाराज जैसे अधिकारीयों के संभावित तबादले को लेकर जताई जा रही है .लोगों का कहना है कि मनु महाराज जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का तबादला राजनीतिक वजहों से नहीं होना चाहिए .एसयूवी के डीआइजी रतन संजय के तबादले की संभावना से भी लोग चिंतित हैं.ज्यादातर सोसल मिडिया पर लिख रहे हैं कि ये बड़े पैमाने पर हो रहा यह तबादला दरअसल ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के तबादले की पृष्टभूमि तैयार की जा रही है. पटना के अशोक सिंह लिखते हैं- ” संजय रतन जैसे अधिकारियों का तबादला कब होगा. कहीं बड़े पैमाने तबादले इसलिए ही तो नहीं किये जा रहे कि इस आड़ में ठीक से काम कर रहे अधिकारियों को भी ठिकाने लगा दिया जाए .”
ये चिंता वे-वजह नहीं.दरअसल मुजफ्फरपुर एसएसपी के घर एसयूवी के छापे के बाद सोशल मिडिया में ये खबर चली कि एसएसपी की पैरवी के लिए यूपी के कई बड़े नेता बिहार पौंच गए हैं और संजय रतन के तबादले के लिए दबाव बना रहे हैं.ये बात दीगर है कि ये खबर कितना सही -कितना गलत किसी को नहीं पता .इसी तरह से लगातार पटना में बतौर एसएसपी मनु-महाराज जमे हुए हैं.लोगों को लग रहा है कि कहीं इसी वजह से उनका तबादला कहीं ना हो जाए.ये दीगर बात है कि मनु-महाराज पटना में किसी राजनितिक बरदहस्त की वजह से नहीं बल्कि कानून -व्यवस्था को बनाए रखने की अद्भूत क्षमता की बदौलत पटना में बने हुए हैं.