बिहार पुलिस का अजीबोगरीब अनुशासन, यौन शोषण का विरोध करने पर हो गई बर्खास्तगी
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार पुलिस में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है. बिहार पुलिस में सबकुछ ठीकठाक नहीं होने का अंदाजा आम लोगों को तो पटना पुलिस लाइन में महिला सिपाहियों के विद्रोह के बाद पता चला है. लेकिन बड़े पुलिस अधिकारी तो इससे पहले ही अवगत थे. दरअसल, पुलिस लाइन में जाति के नाम पर वर्षों से गोलबंदी चल रही है. राज भले नीतीश कुमार का है. लेकिन पुलिस लाइन में लालू यादव का MY फार्मूला आज भी लागू है. यानी यहाँ टेबल पर निर्णायक भूमिका में जो भी अधिकारी काबिज हैं वो या तो मुस्लिम हैं या फिर यादव. यह गैंग इतना पावरफुल हो गया है कि डीजी-आईजी के आदेशों की भी परवाह नहीं करता.
सूत्रों के अनुसार वर्षों से यहाँ जमे यादव और मुस्लिम अधिकारी बड़े अधिकारियों के किसी भी आदेश को लागू नहीं होने देते. पुलिस लाइन में वर्षों से जमे और राजनीति कर रहे ईन सिपाहियों और बाबुओं का तबादला का आदेश कईबार ऊपर से हुआ.लेकिन उसे यहाँ बैठे बाबुओं ने लागू नहीं होने दिया. गैंग इतना मजबूत हो गया कि उसे किसी का डर भय नहीं रहा. ड्यूटी के नाम पर सिपाहियों से वसूली, छुट्टी देने के नाम पर वसूली और दूसरी जाति के सिपाहियों को प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हो गया. यहाँ ट्रेनी महिला सिपाहियों को इसी राजनीति और गैंगबाजी का शिकार होना पड़ा. उन्हें बात बात पर गालियाँ देना , उन्हें फ़िल्मी गीतों पर नचाना और कमरे में बुलाने का सिलसिला शुरू हो गया. इस गुंडागर्दी से महिला सिपाहियों के सीने में अन्दर ही अन्दर सुलग रही आग ने अपने महिला साथी की मौत के बाद भड़क उठा.उन्होंने जमकर अपनी भड़ास निकाली. जमकर पुलिस लाइन में उत्पात मचाई. एसपी-डीएसपी जो भी सामने आये उनकी पिटाई कर दी.
लेकिन हैरत की बात महिला सिपाहियों के इस विद्रोह के असली कारणों की पड़ताल करने की बजाय सरकार ने डेढ़ सौ से ज्यादा सिपाहियों को बर्खास्त करने का फैसला सुना दिया. जब एकतरफा फैसला हुआ तो महिला सिपाहियों ने महिला आयोग में जाकर पुलिस लाइन में यौन उत्पीडन और तरह तरह की प्रताड़ना दिए जाने का सनसनीखेज खुलासा कर दिया. ईन महिला सिपाहियों ने जो सच्चाई बयां किया उससे पुलिस महकमा नंगा हो गया. महिला सिपाहियों को यहाँ फ़िल्मी गाने पर नाचने को मजबूर किया जाता है. उन्हें छुट्टी देने के एवज में कमरे में बुलाया जाता है. उनके साथ बदसलूकी की जाती है. प्रमाण के तौर पर उन्होंने विडियो भी पेश कर दिया. फिर क्या था सरकार की इंद टूटी. आखिरकार शनिवार को पुलिस लाइन से डीएसपी मो. मसलेउद्दीन को हटा दिया गया. डीजीपी केएस द्विवेदी ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए यह कार्रवाई की है.
डीएसपी को कारण बताओ (शोकॉज) नोटिस भी जारी किया जाएगा. दो दिन पहले पटना प्रक्षेत्र के आईजी नैयर हसनैन खान द्वारा पुलिस मुख्यालय को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में भी डीएसपी के कार्यों पर अंगुली उठाई गई थी. इन गड़बड़ियों को देखते हुए ही पुलिस मुख्यालय ने डीएसपी को हटाने का आदेश जारी किया है. बीते 2 नवंबर को पुलिस लाइन में हुए सिपाही विद्रोह के पीछे आरोपों के केंद्र में डीएसपी मसलेउद्दीन ही थे.लेकिन सबसे बड़ा सवाल- मारपीट करने के आरोप में एकसाथ डेढ़ सौ से ज्यादा महिला सिपाहियों को बर्खास्त कर देने का आदेश देनेवाली सरकार ने सबसे ज्यादा दोषी डीएसपी के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज कर उसे बर्खास्त कर जेल भेंजने के बजाय उसे केवल पुलिस लाइन से हटाने जैसा मामूली फैसला क्यों लिया? ऐसा कैसा कानून है जहाँ अपना शोषण करनेवाले अधिकारियों की पिटाई करनेवाली महिला सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया जाता है और महिलाओं के आबरू के साथ खिलवाड़ करने के दोषी डीएसपी को सजा के नाम पर केवल उसका तबादला होता है.यानी शोषण का विरोध करने की सजा नौकरी से बर्खास्तगी और महिलाओं की अस्मत के साथ खिलवाड़ करनेवाले को तबादले की आभाशी सजा.गौरतलब है कि उपद्रव को लेकर जोनल आईजी के आदेश पर 167 ट्रेनी सिपाहियों समेत कुल 175 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया गया है.साथ ही पुलिस मुख्यालय ने लाइन में वर्षों से जमे 92 जवान व अफसरों को स्थानांतरित किया गया है जबकि इसके असली गुनहगार को सजा के नाम केवल तबादला कर देने की आभासी सजा दी गई है. देखिये सिटी पोस्ट लाइव के एडिटर इन चीफ की पुलिस लाइन से एक विशेष रिपोर्ट –
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