दिल्ली में नीतीश कुमार ने की बिहार की विकास योजनाओं पर मोदी के साथ समीक्षा बैठक
सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी के साथ सीटों के बटवारे को लेकर सम्मानजनक समझौता होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी उत्साहित हैं. लोक सभा सीटों को लेकर सबकुछ साफ़ हो जाने के बाद नीतीश कुमार अब बिहार को विशेष दर्जा और स्पेशल स्टेटस दिलाने की मांग को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात करने पहुँच गए . सीएम के साथ उनके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी पहुंचे. सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री और सीएम नीतीश के बीच बिहार की महत्वकांक्षी योजनाओं को लेकर चर्चाएं हुई हैं. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने ओर विशेष पैकेज को लेकर के भी मुख्यमंत्री ने वित् मंत्री से बात की है.
शनिवार की सुबह दिल्ली के बिहार भवन में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रशांत भूषण की मौजूदगी में एक मीटिंग का आयोजन किया गया था. इस बैठक में युवाओं के बीच जेडीयू का क्रेज बढाने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई. इस बैठक में बीजेपी के नेता सुशिल मोदी और संजय झा भी मौजूद थे. सूत्रों के अनुसार युवा वर्ग को एनडीए के साथ मजबूती से जोड़ने की रणनीति पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ सभी नेताओं ने विस्तार चर्चा की.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को दिल्ली में बिहार की विकास योजनाओं की प्रगति की उच्चस्तरीय समीक्षा भी की. इस बैठक में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव और जल संसाधन मंत्री ललन सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा भी शामिल हुए. इस बैठक में प्रधानमंत्री पैकेज में शामिल बिहार की योजनाओं की अपडेट रिपोर्ट पर चर्चा हुई. सीएम ने पटना बिहटा एलिवेटेड रोड समेत अन्य योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए निर्देश दिया. सीएम ने लंबित योजनाओं के डीपीआर और भूअर्जन के मामले में तुरंत काम करने का निर्देश दिया.
गौरतलब है कि इसी महीने नवनियुक्त अभियंताओं के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने जमकर केंद्र सरकार खासतौर पर केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी पर जोरदार हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि जब वो केन्द्रीय मंत्री से कई योजनाओं पर चर्चा करते हैं तो उनके अधिकारी उसे गंभीरता से लेने की बजाय उनके ऊपर हंसते हैं. उनके अफसर काम नहीं होने देते. नीतीश कुमार पटना से बिहटा तक एलिवेटेड सड़क बनाने की चर्चा करते हुए कहा था कि केन्द्रीय मंत्री ने जब उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तब उन्होंने खुद ये काम करने का फैसला लिया था.