मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध लीची को राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान,जीआई का मिला टैग
सिटी पोस्ट लाइव : मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची को नई पहचान मिल गयी है. अब देश-दुनिया में शाही लीची की बिक्री जीआई टैग के साथ होगी. बौद्धिक सम्पदा कानून की तहत शाही लीची को जीआई टैग मिला है. बिहार लीची उत्पादक संघ ने जून 2016 को जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में शाही लीची के जीआई टैग के लिए आवेदन किया था.
बता दें ढाई सालों की जांच-पड़ताल में संतुष्ट होने के बाद शाही लीची को भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री ने टैग दिया है. शाही लीची का जीआई नंबर 552 होगा. संघ की ओर से तकनीकी सहयोग बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने किया. जीआई टैग देने से पहले जीआई रजिस्ट्री कार्यालय ने शाही लीची के 100 वर्षों का इतिहास खंगाला।.इस बीच तीन सुनवाई भी हुई. पांच जून को 2018 को जीआई रजिस्ट्री कार्यालय ने अपने जनरल में एक लेख प्रकाशित कर मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली व पूर्वी चंपारण के अलावा अन्य जगहों से शाही लीची पर दावा करने के लिए आवेदन मांगा. आपत्ति करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया. लेकिन देश में कहीं से किसी संगठन ने शाही लीची के जीआई टैग को लेकर आपत्ति नहीं की. पांच अक्टूबर 2018 को जीआई टैग जारी किया गया. मंगलवार की देर शाम उक्त संघ व राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र को फैक्स के माध्यम से जानकारी दी गई.
जीआई टैग का पूरा नाम जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन है. यह किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है. जीआई टैग उसी उत्पाद को दिया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है. जिसमें उत्पाद के विशेषताओं का उस स्थान विशेष से गहरा संबंध होता है. जीआई टैग मिलने से खुश विशालनाथ ने कहा कि मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली और पूर्वी चंपारण के किसान ही अब शाही लीची के उत्पादन का दावा कर सकेंगे. ग्राहक भी ठगे जाने से बच सकेंगे.
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