पटना से रविशंकर की रिपोर्ट
सिटीपोस्टलाइव : पटना बाईपास पर अभी भी महा-जाम की स्थिति बनी हुई है. यहाँ जाम तो नियमितरूप से लगता है लेकिन पुलिसिया सुस्ती जैसे ही हावी होती है,जाम महा-जाम में तब्दील हो जाता है.पिछले तीन दिनों से यहाँ महा-जाम लगा हुआ है. इस महा-जाम में एम्बुलेंस फंसे हैं, दूल्हा-दुल्हन और बाराती फंसे हैं.इस महा-जाम ने लोगों को भारी संक्कत में डाल दिया है. बाईपास पर कभी ओवरटेकिंग के चक्कर में तो कभी पुलिस की अवैध वसूली के कारण आये दिन जाम लगा रहता है .लेकिन जिस दिन पुलिस सुस्त हो जाती है,उस दिन स्तिथि भयानक हो जाती है.
सरकार पांच घंटे में बिहार के एक छोर से दुसरे छोर पहुँच जाने का दावा तो कर रही है लेकिन अगर उसके हुकुमरान पटना बाईपास पर आकर हकीकत देखें तो पता चलेगा कि यहाँ एक किलोमीटर की दुरी तय करने में घंटों लग जाते हैं.सड़क तो इतनी सुन्दर है कि 120 किलोमीटर की रफ़्तार से गाड़ियाँ दौड़ाई जा सकें लेकिन जाम इस कदर है कि मुश्किल से यहाँ पांच किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं लोग .इस महा-जाम में कई दुल्हे भी गुरुवार से फंसे हुए थे. शादी का मुहूर्त कहीं ख़त्म नहीं हो जाए उन्हें गाडी से उतारकर पैदल और बाइक के सहारे ससुराल जा रहे हैं.लेकिन जो परिवार अपने बच्चों के साथ माहा-जाम में दो दिनों से फंसे हैं ,उनके दुःख दर्द को बयां करना बेहद मुश्किल है.
जाब जाम ने महा-जाम का रूप ले लिया तब जाकर पुलिस की नींद खुली है.पछले दो दिनों से पुलिस जोर लगा रही है लेकिन अभीतक उसे कोई सफलता नहीं मिली है. आसपास के गावं के लोग भी जान लगाकर महा-जाम से मुक्ति दिलामे में जुटे हैं.पुलिस और प्रशासन की तरफ से जाम में फंसे लोगों को दाना -पानी तो उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है लेकिन स्थानीय लोग लोगों को पानी और खाने पीने की चीजें पहुंचा रहे हैं.
जाम में फंसे लोगों की जान तो स्थानीय जनता बचा लेती है लेकिन एम्बुलेंस में फंसे लोगों को कौन बचाएगा ? कईबार इस महा-जाम में मरीज दम तोड़ चुके हैं.लेकिन आजतक पुलिस और प्रशासन ने इस रोड पर लगनेवाले महा-जाम से स्थाईरूप से मुक्ति पाने के लिए अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.मरीज आये दिन जाम में दम तोड़ते हैं.बच्चे स्कूल छोड़ते हैं और सैकड़ों लोगों को उपवास करना पड़ता है .
बेगूसराय के ज़िरोमाइल से लेकर लखीसराय के बड़हिया और पटना के बाढ़ तक हज़ारों गाड़ियाँ जाम में आये दिन फंसी रहती हैं लेकिन पुलिस और प्रशासन इसे एक गंभीर मामला नहीं मानता.शादी-व्याह के सीजन में स्थिति और भी भयानक हो जाती है .महा-जाम में फंसना एक संकट के सामान है .सरकार इस चुनौती को अवसर में बदल सकती है लोगों का दिल जीतने के लिए .जाम में फंसे लोगों को खाना पानी और फंसे मरीजों को वहीँ पर ईलाज की तत्काल व्यवस्था कराकर सरकार लोगों का दिल जीत सकती है .लेकिन पता नहीं हर चुनौती को अवसर में बदल देने का मादा रखने वाले मुख्यमंत्री जी का ध्यान इस महा-जाम संकट की तरफ क्यों नहीं जा रहा है.