सिटी पोस्ट लाइव, मोकामा : कभी ख़ुद सीएम नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटन किए गए मोकामा के मरांची अस्पताल की हालत आज नाज़ुक है. मरांची अस्पताल में रोटेशन के आधार पर डाक्टर आते हैं, बाक़ी काम एएनएम या कंपाउंडर द्वारा चलता है. सीएम ने जिस अस्पताल का उद्घाटन किया, वहां जीवन रक्षक दवाएं तक उपलब्ध ना हो तो आपातकालीन स्थिति में मरीज़ को आख़िर कैसे बचाया जाय? यहां तक कि एम्बुलेंस तो है पर कभी उसका चालक नहीं रहता तो कभी उसने ईंधन की भी व्यवस्था नहीं रहती है.
प्रभारी डाक्टर कहते हैं एम्बुलेंस NGO के तहत चलती है. अब सवाल उठता है की ऐसे ग़ैर ज़िम्मेदार NGO को एम्बुलेंस परिचालन का काम आख़िर किसने दिया और क्यूँ दिया? ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है जब एम्बुलेंस खड़ी रहती है और या तो चालक ग़ायब रहते हैं या फिर उसने ईंधन नहीं रहता. ऐसा ही वाक्या कल के सड़क हादसे में देखी गई. जब मां बेटे की मौत हो गई और पति बुरी तरह घायल था परंतु प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टर ने उसे रेफ़र कर दिया, परंतु वहां खड़ी एम्बुलेंस सिर्फ़ मुंह चिढ़ा रही थी वहीं फुर्ती दिखाते हुए हथिदह थाना अध्यक्ष ने गोसाई गांव से अस्पताल से एम्बुलेंस मंगाया फिर पीड़ित को PMCH भेजा गया, जहां अभी मरीज़ जीवन मृत्यु के बिच संघर्ष कर रहा है. वहीं अब तक इस लापरवाही के चक्कर में कई मरीज़ अपनी जान रास्ते में ही गवां चुके हैं.
यानी मरांची अस्पताल जिसपर मोकामा पूर्वी के आठ पंचायत दो-दो NH और तीन रेलवे स्टेशन निर्भर करते हैं, जहां घटना दुर्घटना अक्सर होती रहती है, उसकी ऐसी हालत हो? जबक़ी CM ने ख़ुद उस अस्पताल का उद्घाटन किया, मरीजों के ईलाज से पहले ख़ुद अस्पताल को ही इलाज की ज़रूरत है. जदयू नेता पवन कुमार ने इस मामले में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं पर इस बीमार अस्पताल का अभी तक इलाज नहीं हो सका है.
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