रामजन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इमारत-ए-शरिया ने किया स्वागत
बिहार-झारखंड और उड़ीसा के नाज़िम रहमान कासमी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं लेकिन मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है इस फ़ैसले को हम सही नहीं मानते हैं
सिटी पोस्ट लाइव : रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला गुरुवार को आया है. इमारत-ए-शरिया के जेनरल सेक्रेटरी अनिसूर रहमान काज़मी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. बिहार-झारखंड और उड़ीसा के नाज़िम रहमान कासमी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं. लेकिन मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है इस फ़ैसले को हम सही नहीं मानते हैं.
उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद का जल्द से जल्द सुनवाई होकर इस मुद्दे पर फ़ैसला हो हम भी यही चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले से आने वाले सुनवाई और फ़ैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा ऐसी उम्मीद है. मेरा ये मानना है कि जिसकी ज़मीन है उसे उसकी ज़मीन मिलनी चाहिए.
अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़े 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2-1 के फैसले के हिसाब से कहा है कि अब ये फैसला बड़ी बेंच को नहीं जाएगा. इस केस के पक्षकारों ने केस को पांच सदस्यीय बेंच में ट्रांसफर करने की मांग की थी.
कोर्ट ने कहा कि इस्माइल फारूकी केस से अयोध्या जमीन विवाद का मामला प्रभावित नहीं होगा. ये केस बिल्कुल अलग है. अब इसपर फैसला होने से अयोध्या केस में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट के फैसले के बाद अब 29 अक्टूबर 2018 से अयोध्या टाइटल सूट पर सुनवाई शुरू होगी. पीठ में तीन जज शामिल थे, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई है कि इस पर जल्दी निर्णय लिया जाए. फैसले में कोर्ट बताएगा कि यह मामला संविधान पीठ को रेफर किया जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के इस्माइल फारूकी (1994) फैसले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है या नहीं.