CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ पीसी करनेवाले जस्टिस रंजन गोगोई बनेंगे देश के अगले चीफ जस्टिस

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : जस्टिस रंजन गोगोई देश के अगले चीफ जस्टिस बनेंगे. वर्तमान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने खुद जस्टिस रंजन गोगोई का नाम रेकोमेंड किया है. गौरतलब है कि जस्टिस रंजन गोगोई दीपक मिश्रा के बाद सुप्रीम कोर्ट में सबसे सीनियर जस्टिस हैं. मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ उन्होंने ही प्रेस कांफ्रेंस कर पुरे देश में हंगामा मचा दिया था. गौरतलब है कि अगले महीने यानी 2 अक्टूबर को दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस पद से रिटायर हो रहे हैं.जस्टिस रंजन गोगई ने ही सबसे पहले दीपक मिश्रा के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. बावजूद इसके चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार के पास की है. मालूम हो कि मौजूदा CJI पर ही अपना उत्तराधिकारी तय करने का दायित्व होता है.

इससे पहले कानून मंत्रालय ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को अधिकारिक तौर पर पत्र लिखकर अपना उत्तराधिकारी तलाशने के लिए कहा था। परंपरा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाया जाता है। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस गोगोई का नाम सबसे आगे है। जस्टिस रंजन गोगोई को 28 फरवरी 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट का जज बनाया गया था। इसके बाद 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायधीश बनाया गया। इसके बाद अप्रैल 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में लाया गया।

जस्टिस गोगोई असम के रहने वाले हैं. वह इस समय एनसीआर  अपडेट करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की प्रणाली पर सवाल उठाने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाया था.सीजेआई मिश्रा को ऐसे कई अहम मामलों में आदेश जारी करना है, जिनका पब्लिक पर गहरा असर होगा. उनमें से एक आधार का मामला भी है. इसमें कोर्ट को फैसला देना है कि क्या सरकारी आधार स्कीम संवैधानिक रूप से वैध है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह स्कीम नागरिक के उस निजता के अधिकार पर बेजा पाबंदियां लगाने वाली है, जिसे सुप्रीम कोर्ट मूल अधिकार दे चुका है.

सरकार और आधार समर्थकों का कहना है कि यह स्कीम गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी में घपला रोकने के लिए जरूरी है. केंद्र सरकार इसका इस्तेमाल असम में पड़ोसी देश के घुसपैठियों की पहचान के लिए वहां चल रहे एनआरसी अपडेशन प्रोग्राम में भी करना चाहती है. इन मामलों में बहुत कुछ चीफ जस्टिस के फैसले पर निर्भर करता है.चीफ जस्टिस केरल के सबरीमाला मंदिर में खास उम्र से ज्यादा की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी मामले की भी सुनवाई करेंगे. उन्हें अडल्टरी कानूनों की वैधानिकता से जुड़े मामले में भी फैसला देना है और देश में माइनॉरिटी एलजीबीटी समुदाय की किस्मत का फैसला करना है. चीफ जस्टिस मिश्रा ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है.

Share This Article