सिटी पोस्ट लाइव : राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को आज कोर्ट से जमानत मिल गयी है. एससी-एसटी एक्ट में आरोपी दुर्ग सिंह को बाड़मेर से गिरफ्तार कर सोमवार को पटना लाया गया था. एससी-एसटी एक्ट के तहत वगैर प्रॉपर जांच के ही उनके खिलाफ लगे आरोपों को पुलिस ने ट्रू कर दिया था. उसी आधार पर उन्हें जेल भी भेंज दिया गया था .लेकिन उनके ऊपर एससी-एसटी एक्ट का मुक़दमा दायर करनेवाले सख्श ही गायब हो गया. उसी आधार पर आज उन्हें पटना के एससी-एसटी कोर्ट के प्रभारी न्यायधीश मनोज कुमार सिन्हा ने पांच पांच हजार के दो मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी.
बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के खिलाफ पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा और गिरफ्तारी के मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. नीतीश कुमार ने पटना जोन के आईजी नैय्यर हसनैन खान को पूरे मामले की तह तक जाकर रिपोर्ट देने को कहा है.
पटना की एससी-एसटी अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाला राकेश पासवान नामक फरियादी गांव अपने गांव से लापता है. राकेश पासवान नालंदा के अस्थवां थाने के टेटुआ गांव का रहने वाला है. उसके पिता दशरथ पासवान का कहना है कि जब से ये मामला प्रकाश में आया है, उसका बेटा गांव छोड़ कर कहीं चला गया है. उन्होंने दावा किया कि राकेश न कभी राजस्थान गया था और न ही उसने किसी व्यक्ति के खिलाफ एस-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है.
दशरथ पासवान ने खुलासा किया है कि राकेश पटना के दीघा निवासी संजय सिंह के यहां नौकर था और उसी ने किसी कागज पर राकेश से दस्तखत करा लिया. स्थानीय लोगों ने बताया कि संजय सिंह बालू का बड़ा कारोबारी है. पत्रकार दुर्ग सिंह के पिता गुमान सिंह का कहना है कि उनका बेटा पैदा होने से लेकर अब तक बाड़मेर में ही रहा और वहीं एक मीडिया हाउस के लिए काम करता था. उन्होंने कहा, “न मैं न मेरा किसी संजय सिंह या राकेश पासवान को जानता है. ये मेरे लिए हैरान करने वाला मामला है. दुर्ग सिंह का पटना से कोई वास्ता भी नहीं रहा. अचानक बाड़मेर पुलिस ने उसे पकड़ लिया और सड़क के रास्ते पटना लाकर बिहार पुलिस के हवाले कर दिया. तभी हमें किसी मुकदमे का भान हुआ.”
पटना की अदालत से जारी अरेस्ट वारंट के अनुसार दुर्गेश सिंह, पिता गुमान सिंह के खिलाफ नौ जुलाई को जारी किया गया है. 20 अगस्त को दुर्ग सिंह राजपूत पटना लाए गए. 22 अगस्त को एससी-एसटी अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.हालांकि दुर्ग सिंह के वकीलों ने जल्दी जमानत के लिए याचिका लगाई जिस पर शुक्रवार को मनोज कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान भी केस दर्ज कराने वाला राकेश पासवान अदालत में हाजिर नहीं हुआ.
एफआईआर में राकेश पासवान ने आरोप लगाया है कि वह बाड़मेर में वह दुर्गेश के यहां पत्थर तोड़ने का काम करता था. उसे जातिसूचक शब्दों से संबोधित कर प्रताड़ित किया गया. जब वह बिहार भाग कर पटना आ गया. दुर्गेश सिंह 15 मई को पटना आया और उस पर वापस चलने का दबाव बनाने लगा. लेकिन वह नहीं माना. इसके बाद सात मई को दुर्गेश सिंह कुछ लोगों के साथ बोलेरो गाड़ी में आए और पटना में ही उसके साथ मारपीट की. अब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पटना पुलिस इस मामले की जांच कर ये पता लगाने में जुटी है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत पत्रकार के खिलाफ किसके कहने पर राकेश पासवान ने मामला दर्ज कराया.