पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह ने कहा – मंत्री नहीं अधिकारी हैं दोषी, उनके खिलाफ हो कारवाई

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में समाज कल्याण विभाग में एनजीओ के जरिये जो गड़बड़झाला करने का खेल सामने आया है और जिस तरह से इसके लपेटे में अबतक दो मंत्री आ चुके हैं, सबसे बड़ा सवाल- आखिर इस गडबडझाले के लिए मंत्री दोषी है या अधिकारी. समाज कल्याण विभाग की कार्यशैली को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पूर्व समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह का दावा है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारी वगैर मंत्री की जानकारी के ही एनजीओ को काम दे देते हैं. उन्होंने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि विभाग के अधिकारियों की वजह से ही एनजीओ समेत अन्य मामलों को लेकर सारी गड़बड़ियां हो रही हैं.

परवीन ने कहा कि उनके कार्यकाल में भी ऐसी गड़बड़ियां होती थीं. पूर्व मंत्री ने कहा कि जब विभाग में वर्षों से जमें अधिकारियों के इस खेल और गडबडझाले को पकड़ा तो उनके पास कोई जबाब नहीं था. उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा कई एनजीओ को नियम के खिलाफ़ जाकर भी काम दे दिया जाता था. पूर्व मंत्री ने कहा कि विभाग के कई अधिकारी अपने मंत्रियों तक को काम की जानकारी नहीं देते थे. उन्होंने विभाग में होने वाली गड़बड़ियों के लिए सीधे तौर पर  अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए कहा कि समाज कल्याण विभाग में हो रही गड़बड़ी की वजह से ही मैंने इस्तीफ़ा दे दिया था. मालूम हो कि हाल के दिनों में TISS की रिपोर्ट के बाद से बिहार के शेल्टर होम्स और एनजीओ में होने वाली गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है.

मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड से लेकर पटना के आसरा समेत कई एनजीओ की मदद से चलने वाले शेल्टर होम्स में गड़बड़ी की शिकायत पायी गई है और इस मामले में कई आरोपी सलाखों के पीछे हैं. विभाग में गबड़ियां उजागर होने के बाद बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को भी इस्तीफा देना पड़ा है. दूसरे पूर्व समाज कल्याण मंत्री दामोदर रावत की भूमिका की सीबीआई जांच शुरू कर चुकी है. दो पूर्व मंत्री इसके चपेटे में अ चुके हैं लेकिन अभीतक बड़े अधिकारी बचे हुए हैं. प्रवीण अम्मानुल्ला का कहना है कि किसी भी विभाग में हो रही धांधली के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार अधिकारी हैं.

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