अलविदा स्टेट्समैन : ‘मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा’

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मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं…

जीवन और मौत के बीच के फर्क की बारीकियों की परख रखनेवाले हर किसी के दिल-अजीज ,सबका नेता ,देश का नेता अब हमारे बीच नहीं रहा .पूर्व प्रधानमंत्री आज हमसे बहुत दूर चले गए. अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी क्या थमी, लगता है, पूरा देश थम सा गया है. देश के 10वें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93वें साल की उम्र में निधन हो जाने से पूरा देश मर्माहत है. भारत रत्न पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी ने भले ही 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा हो लेकिन वो एक कवि भी थे.

देशप्रेम से लेकर मौत को चैलेंज करने वाली अटल की कविताएं किसी के भी रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है. वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए. बतौर प्रधानमंत्री अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वो पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता थे.ऐसे तो उन्होंने बहुत सी कविताएं लिखी हैं, लेकिन उनकी कविता संग्रह ‘मेरी 51 कविताएं’ खासा लोकप्रिय है. ऐसे में हम आपको उनकी बेहद खास कविताएं बता रहे हैं. .

मौत से ठन गई…

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