सिटी पोस्ट लाइव ( आकाश ) : आज माउंटेन मैन दशरथ मांझी की पुन्य तिथि है. दशरथ मांझी की पुण्यतिथि आज बिहार में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (से0) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मनाया .पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की पुण्यतिथि का कार्यक्रम मांझी की पार्टी की तरफ से आयोजित किया गया.दशरथ मांझी, एक ऐसा नाम है जिसे इंसानी जज़्बे और जुनून की मिसाल माना जाता है. जो दीवानगी, जो प्रेम उनके दिल में था और उस प्रेम को बचाने का उसे अमर बनाने का जो जज्बा उनके अंदर था ,बिरले देखने को मिलता है.उन्होंने अपनी पत्नी के लिए पहाड़ पर रास्ता बनाने के पहाड़ों का सीना चीर दिया. दशरथ तब तक चैन से नहीं बैठे , जब तक कि पहाड़ को चिर कर रास्ता नहीं बना दिया.
बिहार में गया के करीब गहलौर गांव में दशरथ मांझी के माउंटन मैन बनने के पीछे उनका पत्नी प्रेम था. गहलौर और अस्पताल के बीच खड़े जिद्दी पहाड़ की वजह से साल 1959 में उनकी बीवी फाल्गुनी देवी को वक़्त पर इलाज नहीं मिल सका और वो चल बसीं. यहीं से शुरू हुआ दशरथ मांझी का इंतकाम.पत्नी के चले जाने के गम से टूटे दशरथ मांझी ने अपनी सारी ताकत बटोरी और उस पहाड़ के सीने को चिर कर रास्ता बनाने की ठान ली जिसने उनकी पत्नी के जीवन का रास्ता रोक दिया था. यह आसान संकल्प नहीं था.जब उन्होंने अपने मिशन की शुरुवात की, लोगो ने उन्हें पागल घोषित कर दिया.लेकिन समाज से बेपरवाह दशरथ मांझी अपने काम में जुटे रहे.
साल 1960 से 1982 के बीच दिन-रात दशरथ मांझी पहाड़ के सीने को चीरने में जुटे रहे. पहाड़ से अपनी पत्नी की मौत का बदला लेने के लिए पहाड़ पर कुल्हाड़ी से वार करते रहे. 22 साल जारी रहे जुनून ने कमाल दिखाया .पहाड़ झुक गया और दशरथ मांझी को अपने सीने से आरपार जाने के लिए रास्ता दे दिया.मांझी ने पहाड़ के सीने को चीरकर 360 फुट लंबा, 25 फुट गहरा और 30 फुट चौड़ा रास्ता बना डाला.
दशरथ मांझी के गहलौर पहाड़ का सीना चीरने से गया के अतरी और वज़ीरगंज ब्लॉक का फासला 80 किलोमीटर से घटकर 13 किलोमीटर हो गया. किसी ने उन्हें गरीबों के शाहजहां का नाम दिया तो किसी ने माउंटेन मैन का खिताब दिया. साल 2007 में 73 बरस की उम्र में दशरथ मांझी आज के ही दिन दुनिया छोड़ चले गए और अपने पीछे छोड़ गए हमेशा यद् रखने के लिए पहाड़ पर लिखी अपनी वो कहानी जो कभी नहीं मिटेगी . उनकी यह कहानी सदियों तक आने वाली पीढ़ियों को सबक सिखाती रहेगी.