जब पिता और पुत्र ने साथ ही लॉ कॉलेज में लिया एडमिशन, अटल जी खुद बनाते थे खाना
सिटी पोस्ट लाइव : देश के पूर्व प्रधानमंत्री और सबके चहेते नेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय से बीमार चल रहे हैं और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। लेकिन कल रात उनकी तबियत काफी बिगड़ गई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। खबर है कि अगले 24 घंटे उनके लिए बेहत नाजुक हैं। भारत की राजनीति में गुड गवर्नेंस का बेहतर उदाहरण देने वाले अटल बिहरी वाजपेयी राजनीति के उन कुछ चुनिंदा चेहरों में से एक हैं जिनके सिर्फ चाहने वाले ही मिलेंगे।अटल को पसंद करने में खुद विपक्ष और विरोधी पार्टियां भी रहे हैं। एकलौते ऐसे नेता जो सत्ता पक्ष में रहते हुए भी विरोधियों का पूरा सम्मान करते। शायद यहीं वजह थी जो सबके चहेते बने रहे और आज भी हैं। अटल जी का जन्म 25 दिसम्बर में ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। एक बेहतरीन नेता के बाद एक बेहतरीन कवि भी थे। आएये पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी जीवन से जुड़े कुछ किस्सों को साझा करते हैं जो शायद आपके कभी सुने ना हों..
- अटल ने मध्य प्रदेश से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने ग्रेजुएशन और पीजी के बाद लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया। एक किस्सा मशहूर है कि अटल और उनके पिता दोनों ने ही साथ में लॉ कॉलेज में पढ़ाई के लिए साथ एडमिशन लिया। अटल अपने पिता के साथ ही लॉ की पढ़ाई करते थे और दोनों साथ में ही हॉस्टल के कमरा नंबर 104 में साथ रहते और खुद की खाना बनाते थे।
- कहते हैं पूर्व प्रधानमंत्री को बीच में ही लॉ की पढ़ाई छोड़नी पड़ी और उन्होंने लॉ की पढ़ाई के दौरान ही आरएसएस के संपर्क में आए और यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरु हुआ।
- अटल जी ने कभी विवाह नहीं किया वो आजीवन ही अविवाहित रहें। लेकिन बाद में उन्होंने एक बेटी को गोद लिया जिसका नाम नमिता है। उनके बेटी के भी शौक पिता जैसे हैं। दोनों को ही क्लासिकल संगीत और कविता लिखने का शौक है।
- अटल जी को कविता लिखने का शौक विरासत में मिला। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी भी कविता लिखने के शौकीन थे और सरकारी स्कून में टीचर थे।
- कहते है कि अटलजी के कुंकिग का बड़ा शौकथा और अक्सर खुद के लिए खाना बनाते थे। इसके अलावा नेचर वॉक के लिए मनाली उनके सबसे प्यारी जगहों में से एक थी
- कुकिंग के साथ-साथ खाने के भी खूब शौकीन थे अटलजी। मथुरा के पेड़े और ठंडाई उनको काफी पसंद थी। जब कोई मथुरा से आता उनके लिए पेड़े जरुर लाता। मथुरा के मंगौड़े भी बेहद पसंद थे।
- ऐसा कहा जाता है कि एक बार मध्य प्रदेश के ग्वालियर के करहल गांव में बाबा जी का यज्ञ में पहुंचे थे। पूरे परिवार के साथ पहुंचे जब तक खाना खत्म हो चुका था और सारी दुकानों पर खाना भी खत्म हो गया था। जब दुकानदार ने बताया कि रसगुल्ला खत्म हो गया है लेकिन उसकी चाशनी बची थी। जब अटल जी ने चाशनी पीकर ही भूख मिटाई थी।