अबतक आधे दर्जान दागदार मंत्री-विधायकों को उड़ा चुके हैं सुशासन बाबू

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सिटी पोस्ट लाइव( सोमनाथ): बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार बिहार की  राजनीति में एक नयी  परंपरा की शुरुआत के जनक माने जाते हैं. और यह नयी शुरुवात थी कि कोई भी दागी व्यक्ति मंत्री नहीं बन सकता. 2005 में पहली बार सीएम की कुर्सी संभालने के बाद जब शपथ लेने के आठ घंटों के अंदर  जीतन राम मांझी को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. अपने जीरो टोलरेंस की नीति के तहत  नीतीश कुमार मंजू वर्मा समेत अबतक चार  मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं.मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा पर मुजफ्फरपुर बालिका गृह सेक्स स्कैंडल के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को मदद पहुंचाने का आरोप लगा है. ताजा कार्रवाई से साफ हो गया है कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति से कोई समझौता करने के मूड में नहीं हैं.

नीतीश ने इस परंपरा की शुरुआत 2005 में पहली बार सीएम की कुर्सी संभालने के बाद ही कर दी थी जब शपथ लेने के आठ घंटों के भीतर जीतन राम मांझी को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. नीतीश को जैसे ही मालूम चला कि मांझी के खिलाफ बीएड घोटाले का एक मामला चल रहा है तो उन्होंने विभागों के बंटवारे से पहले ही उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. 15 मार्च, 2009 को नीतीश ने परिवहन मंत्री रामानंद प्रसाद सिंह को इस्तीफा देने के लिए नीतीश कुमार ने मजबूर कर दिया था.उनके ऊपर  मुजफ्फरपुर के कांटी थर्मल पावर स्टेशन में फ्यूल टक्नोलॉजिस्ट के पद रहते हुए अधिक कीमत पर घटिया क्वालिटी की पाइप खरीदने का आरोप था. विजिलेंस ने उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने की तैयारी की थी.इसी तरह से एक निजी चैनल द्वारा  12 अक्टूबर, 2015 के दिन एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाए जाने के बाद तत्कालीन एक्साइज मिनिस्टर अवधेश कुशवाहा का नीतीश कुमार ने इस्तीफा ले लिया थ. इस स्टिंग ऑपरेशन में  एक कारोबारी से उन्हें नकदी लेते हुए दिखाया गया था .

और अब समाज कल्ल्यान मंत्री मंजू वर्मा को बालिका गृह कांड में इस्तीफा देना पड़ा है. खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मुलाकात भी नहीं की.उन्हें अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री आवास के टेलेफोन ड्यूटी को ही सौंपना पड़ा है. वैसे मंजू वर्मा पहली महिला नहीं हैं जिनके खिलाफ कारवाई हुई ही.  2016 के चर्चित गया रोड रेज मामले के मुख्य आरोपी रॉकी यादव की मां मनोरमा देवी को नीतीश कुमार ने पार्टी से निलंबित कर दिया था जबकि वो जेडीयू की विधान पार्षद थी. इस मामले में सरकार की छवि खराब होने और मनोरमा पर बेटे को छिपाने का आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

17 जनवरी 2016 को डिब्रूगढ़-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में सफर करने के दौरान एक दंपति के साथ दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ करने के आरोप में सरफराज आलम को पार्टी से नीतीश कुमार ने निलंबित कर दिया. सरफराज ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पहले तो गलत बताया लेकिन पुलिस पूछताछ के दौरान उनके उस ट्रेन सवार होने की बात सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ कारवाई कर दी थी. जाहिर है नीतीश कुमार अपनी साफ सुथरी छवि को लेकर बेहद सजग रहते हैं. बेईमानों के बीच रहकर भी अबतक बेदाग़ रहे हैं और समय समय पर बेईमानों के खिलाफ कारवाई कर अपनी ईमानदारी का सबूत देते रहे हैं.

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