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क्यों परेशान हैं बिहार के इस पप्पू से नेता-मंत्री, डॉक्टर और पुलिसवाले?

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सिटी पोस्ट लाइव( सोमनाथ) : जाप के अध्यक्ष पप्पू यादव को ये क्या हो गया है? पप्पू यादव से सब परेशान हैं? सब उनको कोस रहे हैं? कभी बिहार को विशेष दर्जा दिलाने के लिए यात्रा पर निकल जाते हैं तो कभी  बिहार बंद का एलान कर देते हैं. फिर तीसरे दिन दिल्ली पहुँच जाते हैं बालिका गृह महा-रेपकांड पर हंगामा करने. तो चौथे  दिन पहुँच जाते हैं फतुहा उस स्कूल में जहाँ, एक बच्चे की हत्या हो गई है . फिर दिल्ली निकल जाते हैं  और अगले दिन फिर  छपरा पहुँच जाते हैं एसपी को धमकाने . इतना ही नहीं पीएमसीएच बोरवेल में गिरी सना का हालचाल लेने भी पहुँच गए और ऊपर से मदद का एलान भी कर दिया .समाज कल्याण मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर कभी आन्दोलन की धमकी देते नजर आते हैं तो उसी दिन भागलपुर पहुँच जाते हैं  दो बहनों की संदिग्ध अवस्था में मौत का जायजा लेने.

इतना भारी भरकम आदमी फिर भी एक मिनट चैन से नहीं बैठता .ऐसा लगता है बिहार में केवल एक ही जनप्रतिनिधि है बाकी सब लाट साहब हैं. पुरे बिहार की चिंता यहीं एक आदमी अपने सर पर लेकर घूम रहा है. इतनी सारी शिकायतें हैं पप्पू यादव से . लेकिन ख़ास बात ये है कि ये शिकायतें जनता की नहीं है बल्कि राजनीतिक दलों और उसके नेताओं की है. हर पार्टी और हर नेता मंत्री को पप्पू यादव का भूत सता रहा है. कब कौन सा मुद्दा पकड़ ले और आन्दोलन शुरू कर दें ,कोई नहीं जानता .न अपने सेहत की परवाह है और ना ही  मंत्रियों अधिकारियों से मोलभाव करने का सलीका . सब नेता ,मंत्री और अधिकारी पपू से परेशान हैं फिर भी उनके खिलाफ कुछ कर नहीं पा रहे हैं क्योंकि पप्पू की ये लड़ाई  अपनी गुंडई का साम्राज्य स्थापित करने के लिए नहीं बल्कि जन-सरोकार के लिए है.

अपने बहुबल का इस्तेमाल जन-सरोकार के लिए इस्तेमाल कर आज पप्पू यादव बिहार का पप्पू बन गया है. जो भी बिहारी संकट में है, लाचार है , प्रशासन और पुलिस और सरकार का मारा है ,सबकी उम्मीद पप्पू पर टिकी है.पप्पू जरुर आएगा .उनके लिए लडेगा ,हंगामा करेगा ,सडकों पर उतरेगा , उनकी यानी एक व्यक्ति  की लड़ाई को आमजन की लड़ाई बना देगा .अगर मेहनत का फल वाकई मिलता है तो इस पप्पू को भी मिलना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. पप्पू का दुःख दर्द साफ़ झलकता है जब वह सवाल करता है – कबतक जाति–पाति और मजहब की लड़ाई लड़ते रहोगे? अपनी लड़ाई कब लड़ोगे?  क्यों जाति के नाम बंटे हुए हो? कब अपने मुद्दे को लेकर गोलबंद होंगे बिहार के लोग?

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