अब एक्शन में सरकार, कल्याण विभाग के 6 एडिशनल डायरेक्टर, 7 सीपीओ सस्पेंड
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप मामले में सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी तोड़ने के साथ ही बालिका गृह कांड के दोषी अधिकारियों की गर्दन तोड़ना शुरू कर दिया है. समाज कल्याण विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छह जिलों के सहायक निदेशक और सात जिलों के सीपीओ (बाल संरक्षण पदाधिकारी) को सस्पेंड कर दिया है. सूत्रों के अनुसार इस मामले में अभी आधा दर्जन से ज्यादा बड़े अधिकारियों के खिलाफ कारवाई की तैयारी है. समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार ने बताया कि छह जिलों के सहायक निदेशक को निलंबित किया गया है. जिन जिलों के सहायक निदेशक को निलंबित किया गया है उनमें मुंगेर, भागलपुर, अररिया, भोजपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर शामिल हैं. उन्होंने बताया कि छह जिलों के सहायक निदेशक के अलावा सात जिलों के बाल संरक्षण पदाधिकारी (सीपीओ) भी निलंबित किये गये हैं.
गौरतलब है कि सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बिहार के इस हाई प्रोफाइल मामले में चुप्पी तोड़ी थी. चुप्पी तोड़ने के 48 घंटे के भीतर ही ये बड़ी कार्रवाई हुई है. इससे पहले सरकार ने मामले में सख्त कदम उठाते हुए समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा को सस्पेंड कर दिया था. दिवेश शर्मा ने ही मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस की एफआईआर दर्ज कराई थी. दिवेश सुधार गृह कांड में भी वादी हैं. दिवेश शर्मा पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई में देरी का आरोप है.
बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न कांड को लेकर दिल्ली से पटना तक सियासत तेज हो चुकी है. विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर लगातार हल्ला बोल रहा है. इसी मामले में बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री सुरेश शर्मा को शनिवार को विरोध का सामना करना पड़ा. नगर निगम में योजनाओं का शिल्यान्यास करने दरभंगा पहुंचे मंत्री सुरेश शर्मा को कांग्रेस सेवा दल के जमाल हसन ने अपने समर्थकों के साथ काले झंडे दिखाए. प्रदेश में इस मामले को लेकर नेताओं के बीच खुला खत लिखे जाने की भी होड़ मची है.
बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह का यह पूरा मामला तब प्रकाश में आया, जब टीआईएसएस की सोशल ऑडिट रिपोर्ट सामने आई. 31 मई को बिहार सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कैसे इन बालिका गृह में छोटी-छोटी बच्चियों का शोषण किया जाता रहा है.उसके बाद भी दो महीने तक विभाग की तरफ से कोई कारवाई नहीं की गई. जब मामला मीडिया के संज्ञान में आया तब जाकर कारवाई शुरू हुई.वैसे राज्य के दूसरे बालिका गृहों में भी गड़बड़ी की रिपोर्ट है.लेकिन अभीतक सरकार केवल मुजफ्फरपुर मामले में ही उलझी हुई है.