सिटी पोस्ट लाइव: सरकार ने बाकायदा बच्चों के लिए जेजेबी (Juvenile Justice Act) एक्ट बना रखा है. इस एक्ट में 300 पन्नों की गाइडलाइन है. बच्चों के भोजन में हल्दी नमक के इस्तेमाल से लेकर तमाम सुविधाओं से सम्बंधित गाईडलाईन हैं. बेड कितना लंबा होगा, बिस्तर कैसा होगा, तकिया कैसा होगा, क्या खाएंगे, कितना खाएंगे, कब उनका काउंसिलिंग होगा ,इस तरह की तमाम गाईडलाईन्स हैं सरकार के एक्ट में.इस गाइडलाईन का अक्षरशः पालन के लिए कई लेयर के अधिकारी तैनात किये जाते हैं. असिस्टेंट डायरेक्टर सोशल सेक्योरिटी, असिस्टेंट डायरेक्टर चाइल्ड प्रोटेक्शन, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर, प्रोबेशन ऑफिसर ये तमाम अधिकारी होते हैं बालिका गृह पर नजर रखने के लिए.
सबसे बड़ा सवाल अधिकारियों की इतनी बड़ी फ़ौज क्या कर रही थी? कैसे इनमे से किसी को बालिका गृह में चल रहे सेक्स रैकेट की भनक तक नहीं लगी? ये अपनी डीड्यूटी को लेकर लापरवाह थे या फिर किसी दबाव में सच्चाई की अनदेखी करते रहे? आखिर वो सख्श कौन है, जिसके कारण ईन तमाम अधिकारियों ने चुप्पी साध ली? ईन तमाम सवालों को लेकर पटना हाईकोर्ट में दो दो जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. एक याचिका दायर किया है संतोष कुमार ने और दूसरा याचिका दायर किया है नवनीत कुमार ने.याचिका में मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है. हालांकि अब खुद सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है. सीबीआई जांच शुरू भी हो चुकी है.लेकिन ये सामाजिक कार्यकर्त्ता कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग कर रहे हैं.
इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ही कोर्ट ने कहा था कि मुजफ्फरपुर का मामला बिहार सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात है और राज्य सरकार को सीबीआई जांच करवानी चाहिए. मुजफ्फरपुर समेत बिहार के तमाम जरूरतमंदों के लिए बनाए गए आवास और अल्पावास गृह के हालात पर से पर्दा उठाते हुए संतोष कहते हैं कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की टीम कुछ घंटों के लिए बिहार के तमाम चिल्ड्रन होम में जाटी है और उनको सब कुछ पता चल जाता है.फिर इसी काम के लिए वहां तैनात असिस्टेंट डायरेक्टर सोशल सेक्योरिटी, असिस्टेंट डायरेक्टर चाइल्ड प्रोटेक्शन, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर, प्रोबेशन ऑफिसर को कैसे पता नहीं चलता है?
बालिका गृह की देखभाल का काम प्रशासनिक स्तर पर जिला बाल संरक्षण इकाई करता है.. यहां कई लेवल के अधिकारी और कर्मचारी होते हैं. मुजफ्फरपुर में इस इकाई का दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर रवि रोशन जेल में है.बच्चियों के लिए सुरक्षा देखने के लिए CWC यानि बाल कल्याण समिति होती है.इसे जिला स्तर पर कानूनी अधिकार प्राप्त है और उसका काम है बालिकाओं के कानूनी अधिकारों की रक्षा करना है. इस समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप कुमार वर्मा 11वें आरोपी है और फिलहाल फरार है.
सुरक्षा की तीसरी परत है वह स्वयं सेवी संगठन जो इसे गृह को संचालित करती है. इस केस में वो हैं ब्रजेश ठाकुर हैं जिनका नाम अभियुक्तों की लिस्ट में सबसे ऊपर है. यानी जिन तीन प्रमुख लोगों की जिम्मेवारी बच्चियों की सुरक्षा करना है, सबके सब आरोपी बन चुके हैं.सबसे बड़ा सवाल ऐसे इन बच्चियों की सुरक्षा कौन करेगा? 6 अगस्त को याचिका पर फिर से हाइकोर्ट में सुनवाई होनी है.संतोष चाहते हैं कि राज्य सरकार ने तो सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है लेकिन यह कोर्ट की निगरानी में हो. दूसरी बात यह कि निश्चित समय सीमा में हो और तीसरी मांग यह है कि हर पीड़ित के लिए अलग एफआईआर दर्ज की जाए. जाहिर है हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान कोई बड़ा फैसला आ सकता है.