सिटी पोस्ट लाइव: 30 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आखिरकार एनडीआरएफ की टीम को बोरवेल में फंसी सन्नो को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता मिल गई.इसमे शक की कोई गुंजाईश नहीं कि सन्नो की सलामती के लिए पूरा देश दुवाएं मांग रहा था .लेकिन सबसे ख़ास बात ये थी कि खबरिया चैनलों के बीच इस रेस्क्यू ऑपरेशन का श्रेय लेने की ऐसी होड़ मची रही मानों रेस्क्यू ऑपरेशन एनडीआरएफ की टीम ने नहीं बल्कि खबरिया चैनलों ने ही चलाया हो.खबरिया चैनल इस ऑपरेशन की सफलता का श्रेय लेने के चक्कर में खूब उटपटांग खबरें भी चलाई . बच्ची अभो बोरवेल में फंसी थी लेकिन दो घंटे पहले ही बच्ची के सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाने की खबर चला दी. फिर क्या था दो खबरिया चैनलों के बीच एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश शुरू हो गई. दोनों चैनलों ने एक दूसरे की खिंचाई शुरू कर दी.
यानी तारीफ़ होनी चाहिए उस नन्हीं बच्ची की जिसने 30 घंटे तक मौत से संघर्ष किया और मौत को मात देकर सुरक्षित बाहर आ गई. शाबाशी देनी चाहिए एनडीआरएफ की उस टीम को जिसने बड़े संयम के साथ 30 तक ऑपरेशन चलाकर बच्ची को बचा लिया.लेकिन खबरिया चैनल इस रेस्क्यू ऑपरेशन का श्रेय लेने की होड़ में असली हीरो को भूल गए और खुद को हीरो साबित करने के लिए एडी छोटी का जोर लगा दिया.यहाँ साक्षात्कार चलाना चाहिए रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीम के सदस्यों का लेकिन सब खबरिया चैनल नेताओं की प्रतिक्रिया लेने में इतने व्यस्त हो गए कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन के असली हीरो को ही भूल गए.संवेदना थी उस माता की व्यथा कथा में जो दो घंटे एम्बुलेंस में बैठी अपनी बेटी के बोरेवेल से निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी .लेकिन मीडिया को वह नजर नहीं आई.यानी खबर वह बन गई जो खबर थी ही नहीं और जो असली खबर थी ,वह खबर बन ही नहीं पाई .