आगामी शनिवार यानी 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण लग रहा है। अगर मौसम का मिजाज ठीक रहा, तो यह भारत के सभी हिस्सों में दिखाई देगा।
आमतौर पर ग्रहण एक या डेढ़ घंटे की अवधिवाले होते हैं, लेकिन आगामी चंद्रग्रहण 4 घंटे तक रहेगा। चंद्रग्रहण की शुरुआत चंद्रमा के उदय के साथ 27 जुलाई की रात 11 बजकर 54 मिनट से होगी। और ग्रहण का मध्यकाल 28 जुलाई की रात 1 बजकर 54 मिनट पर होगा। ग्रहण की समाप्ति 3 बजकर 49 मिनट पर होगी। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 55 मिनट की होगी।
ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आ जाते हैं। धरती की छाया चांद पर पड़ती है और यह धीरे-धीरे चांद को ढक लेती है। यह समय पूर्ण ग्रहण का होता है। इसके बाद ग्रहण की छाया कम होनी शुरू हो जाती है।
ग्रहण के समय ‘ब्लड’ मून दिखेगा। ब्लड मून इसके रंग की वजह से कहा जाता है। चंद्रग्रहण के समय जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आती है, तो सूरज की रोशनी रुक जाती है। पृथ्वी के वातावरण की वजह से रोशनी मुड़कर चांद पर पड़ती है और इस वजह से यह लाल नजर आएगा।
ऐसे में कहा जा सकता है कि उस समय चांद बेहद खूबसूरत दिखनेवाला है। इसे देखने के लिए इस बार टेलीस्कोप की जरूरत नहीं, लेकिन अगर टेलीस्कोप से देखा जाएगा, तो चांद और भी खूबसूरत और निराला नजर आएगा।
यह चंद्रग्रहण भारत के सभी हिस्सों से दिखेगा, साथ ही ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोपीय देशों व अंर्टाकटिका में भी यह खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। खगोलविदों के अनुसार, ग्रहणवाली रात मंगल भी पृथ्वी के बहुत नजदीक होगा और इस कारण वह भी चमकीला दिखाई देगा।
कहा जा रहा है कि इतना लंबा चंद्रग्रहण इसके बाद सदी के आखिर तक दिखाई नहीं देगा। करीब 150 साल बाद चंद्रमा अपने उस रूप में फिर से दिखाई देगा, जैसा 27 जुलाई की रात में दिखाई देनेवाला है। इससे पहले 16 जुलाई, 2000 में ऐसा ग्रहण लगा था। अब तक सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण 1700 साल पहले पड़ा था।
यह संयोग ही है कि ग्रहणवाले दिन यानी 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा भी है, इसलिए भारत में इसका महत्व बढ़ जाएगा।
वैसे, चंद्रग्रहण से संबंधित उक्त जानकारी हमारे स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों तक कितनी पहुंची या शिक्षकों द्वारा कक्षाओं में दी गयी, यह पता नहीं, लेकिन चंद्रग्रहण को लेकर हमारे देश के मंदिरों के पुजारी-पुरोहित और धर्मगुरु खूब ‘एक्टिव’ हो चुके हैं और धार्मिक आस्था और परंपरा के नाम पर कई तरह के ‘अनिवार्य’ कर्म-कांडों की कुछ घोषणाएं कर रहे हैं। उनके कई निर्देश घर-घर पहुंच भी गए होंगे – जैसे, गुरु पूर्णिमावाले दिन लगनेवाले चंद्रग्रहण पर जप, तप दान का विशेष महत्व है। 27 को गुरु पूर्णिमा पर सूतक लगने से पहले गुरु पूजन, गुरु दान दक्षिणा इत्यादि संपन्न कर लेने चाहिए। दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से पहले मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। जिन श्रद्धालुओं का नियमित मंदिर जाने का नियम है उन्हें ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। श्रद्धालु सूतक लगने से पहले देवी-देवताओं के दर्शन करें और घर एवं मंदिरों में किसी भी देवी देवता की मूर्ति को स्पर्श न करें। 27 को गंगा आदि ‘पवित्र’ नदियों में स्नान कर यथाशक्ति दान अवश्य देना चाहिए। घर में रखे हुए पानी में कुशा डाल देनी चाहिए, इससे पानी दूषित नहीं होता है। देवमूर्ति का स्पर्श, मल-मूत्र का त्याग भी नहीं करना चाहिए। ग्रहण के सूतक समय में भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक काल आरंभ हो जाता है। सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें ग्रहण के दौरान घर के अंदर ही रहना चाहिए, ताकि उन पर ग्रहण की छाया न पड़े। आदि-आदि।
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